गुरुवार को एन्यूमरेशन फॉर्म जमा करने का आखिरी दिन था। चुनाव आयोग 16 दिसंबर को मतदाता सूची का मसौदा जारी करेगा। इसके बाद शुरू होगा सुनवाई का दौर। इस बात को लेकर लोगों में काफी अटकलें और बेचैनी है कि किसे सुनवाई के लिए बुलाया जाएगा और किसे नहीं। इसी बीच केंद्रीय राज्य मंत्री सुकांत मजूमदार ने गुरुवार को दावा किया कि उनका अनुमान है कि बंगाल में 50 लाख से 1 करोड़ मतदाताओं को सुनवाई के लिए बुलाया जा सकता है।
राज्य में 'SIR' की प्रक्रिया शुरू होने से पहले विपक्ष के नेता शुभेंदु अधिकारी ने दावा किया था कि मतदाता सूची से एक करोड़ नाम हटा दिए जाएंगे। उनके इस दावे के बाद तृणमूल ने सवाल उठाया कि शुभेंदु अधिकारी को यह संख्या पहले से कैसे पता थी? बंगाल में सत्ताधारी पार्टी ने भाजपा-चुनाव आयोग के बीच आपसी मिलीभगत होने आरोप लगाया है।
हालांकि मतदाता सूची से कितने नाम हटाए गए इस बात की जानकारी तो 9 फरवरी को ही मिलेगी जब फाइनल वोटर लिस्ट जारी किया जाएगा। लेकिन उससे पहले सुकांत मजूमदार की बातों ने फिर से राजनीतिक विवाद खड़ा कर दिया है।
गुरुवार को सुकांत मजूमदार ने एक न्यूज चैनल को दिये अपने बयान में कहा कि आकड़े बता रहे हैं कि BLO को बांटे गए 57 लाख एन्यूमरेशन फॉर्म बुधवार तक जमा नहीं हुए हैं। मुझे लगता है कि 50 लाख से एक करोड़ मतदाताओं को सुनवाई के लिए बुलाया जाएगा। हालांकि मेरे पास कोई ठोस जानकारी नहीं है।
यह केवल मेरा अंदाजा है। इसके बाद ही तृणमूल के प्रवक्ता अरूप चक्रवर्ती ने पलटवार करते हुए कहा कि सुकांत मजूमदार अंदाजा लगा सकते हैं कि किसे बुलाया जाएगा। ठीक वैसे ही जैसे शुभेंदु अधिकारी अंदाजा लगा सकते हैं कि CBI और ED कब किसके घर छापा मारेगी।
घुसपैठियों के मुद्दे पर सुकांत मजूमदार ने मुख्यमंत्री ममता बनर्जी पर हमला बोलते हुए कहा कि ममता बनर्जी कहती हैं कि वह पश्चिम बंगाल में डिटेंशन कैंप नहीं बनने देंगी। क्या वह घुसपैठियों के तौर पर पहचाने गए लोगों को अपने घर में रखने का प्लान बना रही हैं?
हालांकि ममता बनर्जी अपनी बात पर अड़ी हुई हैं इस बात को गुरुवार को कृष्णानगर में एक बैठक के दौरान तृणमूल सुप्रीमो ने एक बार फिर से साफ कर दिया। उन्होंने कहा कि क्या आप चाहते हैं कि आपका नाम वोटर लिस्ट से हटा दिया जाए? क्या आप चाहते हैं कि मतुआ और राजवंशी के नाम हटा दिए जाएं?
मैं किसी को भी बंगाल से बाहर नहीं जाने दूंगी। ममता ने आगे कहा कि जिन्होंने देश के लिए अपनी जान दी, उन्हें आज यह साबित करना होगा कि वे देश के नागरिक हैं या नहीं! वे (चुनाव आयोग) भाजपा को छोड़कर सबके नाम हटाना चाहते हैं। भाजपा का IT सेल मतदाता सूची तैयार करेगा और उसके आधार पर चुनाव होगा? क्या यही चुनाव आयोग की योजना है?