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डंडे और टॉर्च लेकर सड़कों पर उतरीं माताएं, बच्चों को चिट्टा से बचाने की मुहिम

By प्रियंका कानू

Dec 15, 2025 19:28 IST

शिमला: कड़ाके की सर्द रातों में हिमाचल प्रदेश के बिलासपुर जिले के लाघाट गांव की महिलाएं अपने आरामदायक घरों से बाहर निकलती हैं। हाथों में टॉर्च और डंडे लेकर वे गांव की सुनसान गलियों में रात्रि गश्त करती हैं। उनका निशाना है मिलावटी हेरोइन की तस्करी करने वाले गिरोह जिसे स्थानीय भाषा में ‘चिट्टा’ कहा जाता है। लाघाट गांव जो बिलासपुर सदर विधानसभा क्षेत्र के अंतर्गत आता है, बैरी राजाडियां पंचायत को बरमाणा औद्योगिक क्षेत्र से जोड़ता है। महिलाओं ने बताया कि यहां दिन-रात भारी वाहन आवाजाही रहती है जिससे यह इलाका नशा तस्करों के लिए आसान ट्रांजिट रूट बन गया है।

पीटीआई की रिपोर्ट के अनुसार महिलाएं छोटे-छोटे समूहों में रात के समय गांव की गलियों में गश्त करती हैं। संदिग्ध लोगों से पूछताछ की जाती है, राहगीरों पर कड़ी नजर रखी जाती है और किसी भी असामान्य गतिविधि की सूचना तुरंत पुलिस को दी जाती है। ये गश्ती दल 25 से 50 वर्ष की उम्र की महिलाओं से बने हैं जो सभी लाघाट महिला मंडल की सदस्य हैं। वे हर रात सड़कों पर उतरती हैं और नशे की बढ़ती समस्या से अपने बच्चों को बचाने के लिए संकल्पबद्ध हैं।

महिला मंडल की अध्यक्ष पिंकी शर्मा ने आज कहा कि हमारा उद्देश्य नशा तस्करों को पकड़वाना और गांव को सुरक्षित रखना है। नशे की लत केवल व्यक्ति ही नहीं बल्कि पूरे परिवार और समाज को बर्बाद कर देती है। पुलिस और प्रशासन के साथ सामुदायिक भागीदारी बेहद जरूरी है। उन्होंने कहा कि अगर कोई संदिग्ध मिला तो हम उसे रोकेंगे और पुलिस को सूचना देंगे। महिलाओं ने साफ कहा कि गांव में नशा बेचने वालों या उन्हें शरण देने वालों के लिए कोई जगह नहीं है और जरूरत पड़ी तो और सख्त कदम उठाए जाएंगे।

अंजू शर्मा ने बताया कि हाल ही में बनी एक लिंक रोड के कारण रात में बाहरी लोगों की आवाजाही बढ़ी है, जिसका फायदा तस्कर युवाओं को फंसाने के लिए उठाते हैं। इस अभियान को गांव वालों का पूरा समर्थन मिल रहा है। एक अन्य सदस्य कुसुम ने कहा कि उनका यह प्रयास बच्चों के भविष्य को तय करेगा और इससे राज्य सरकार के चिट्टा विरोधी अभियान को भी मजबूती मिलेगी। कई ग्रामीण भी महिलाओं के साथ रात की गश्त में शामिल हो रहे हैं जबकि अन्य लोग गांव में आने-जाने वालों पर नजर रखते हैं और किसी भी संदिग्ध गतिविधि की सूचना महिला मंडल या पुलिस को देते हैं। ग्रामीणों का कहना है कि अगर अभी सख्ती नहीं बरती गई तो भविष्य में इसके गंभीर परिणाम हो सकते हैं।

बिलासपुर के पुलिस अधीक्षक संदीप धवल ने इस पहल की सराहना करते हुए पूर्ण पुलिस सहयोग का आश्वासन दिया। उन्होंने कहा कि महिलाएं बेहद सराहनीय काम कर रही हैं। उन्हें पुलिस का पूरा सहयोग मिलेगा। नशा बेचने या सेवन करने वालों को बख्शा नहीं जाएगा। हिमाचल प्रदेश इस समय चिट्टा जैसे खतरनाक नशे के प्रसार से जूझ रहा है जिसने कई युवाओं की जान ले ली है। सरकार, पुलिस, पंचायतें और स्थानीय समुदाय मिलकर इस समस्या से निपटने में जुटे हैं।

चिट्टा जिसे वैज्ञानिक रूप से डायएसिटाइलमॉर्फिन कहा जाता है, हेरोइन से बना एक अर्ध-सिंथेटिक ओपिओइड है। यह अत्यंत नशेड़ी और जानलेवा होता है। अधिक मात्रा (ओवरडोज़) जानलेवा साबित हो सकती है यह जानकारी राज्य फॉरेंसिक विज्ञान प्रयोगशाला के पूर्व निदेशक अरुण शर्मा ने दी। पुलिस के अनुसार, इस नशे की कीमत 4,000 से 6,000 रुपये प्रति ग्राम के बीच होती है। अधिक मुनाफे के कारण कई नशा तस्कर चिट्टा की ओर मुड़ गए हैं और इस नेटवर्क में छात्रों की भागीदारी भी बढ़ रही है।

स्थिति इसलिए और गंभीर हो गई है क्योंकि चिट्टा अब ग्रामीण इलाकों तक फैल चुका है। महंगा और लत लगाने वाला यह नशा छात्रों के लिए अफोर्डेबल नहीं होता जिससे नशेड़ी अपनी लत पूरी करने के लिए खुद सेवन करने के साथ-साथ इसे बेचने को भी मजबूर हो जाते हैं। इससे और अधिक युवा इस जाल में फंसते जा रहे हैं और नशे का एक खतरनाक नेटवर्क बनता जा रहा है।

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