चण्डीगढ़: प्रेरणादायक संघर्ष और सपनों की कहानी सामने आई है। हरदीप गिल ने भारतीय सेना में लेफ्टिनेंट के पद पर शामिल होकर अपनी मां को गर्वित कर दिया। यह सफलता उनके संघर्षशील परिवार और मां सांत्रो देवी की मेहनत का परिणाम है। इस कहानी को उजागर किया है सेवानिवृत्त मेजर जनरल यशपाल सिंह मोर ने। हरदीप ने देहरादून स्थित इंडियन मिलिट्री अकादमी (आईएमए) से प्रशिक्षण पूरा करने के बाद अब शिख लाइट इन्फेंट्री की 14वीं बटालियन में लेफ्टिनेंट के रूप में शामिल हुए हैं। यशपाल सिंह मोर के अनुसार हरदीप की सफलता में उनकी मां का सबसे बड़ा योगदान है।
सांत्रो देवी हरियाणा के जिंद जिले, अलीपुर गांव की निवासी हैं। 20 साल पहले उनके पति का निधन हो गया था। उस समय हरदीप की उम्र केवल 2 साल थी। उनके अलावा भी उनके तीन बच्चे हैं। परिवार का पालन-पोषण करने के लिए सांत्रो देवी सरकारी स्कूल में मिड-डे मील की रसोइया के रूप में काम करती थीं और स्कूल के बाद कृषि मजदूरी भी करती थीं। कम वेतन और कठिन परिस्थितियों के बावजूद उन्होंने हरदीप को पढ़ाई पूरी करने के लिए प्रेरित किया।
हरदीप ने गांव के स्कूल से पढ़ाई पूरी की और इंदिरा गांधी राष्ट्रीय मुक्त विश्वविद्यालय से स्नातक की डिग्री हासिल की। आईएमए में शामिल होने से पहले तक भी वह कृषि मजदूरी करते रहे। प्रशिक्षण समाप्त होने के बाद उन्होंने भारतीय सेना में अपनी सेवा शुरू की। सेवानिवृत्त मेजर जनरल यशपाल सिंह मोर ने बताया कि अब वे युवाओं को सेना में शामिल होने के लिए उचित प्रशिक्षण और मार्गदर्शन देते हैं। उन्होंने कहा कि हरदीप की सफलता देखकर उन्हें अत्यंत खुशी हुई क्योंकि उन्होंने केवल मार्गदर्शन की भूमिका निभाई।