वृंदावन: वृंदावन के विश्वविख्यात बांके बिहारी मंदिर में वीआईपी संस्कृति और दर्शन व्यवस्था को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने कड़ी फटकार लगाई है। मंदिर के दर्शन और समय-सारिणी में किए गए बदलाव को लेकर चल रही सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि पैसों के लिए आप भगवान को एक मिनट के लिए भी आराम नहीं करने दे रहे हैं।
आज मुख्य न्यायाधीश सूर्य कांत की अगुवाई वाले पीठ की इस टिप्पणी से भक्तों के बीच हलचल मच गई है। जिस वीआईपी कल्चर को हाल ही में कोलकाता के युवभारती स्टेडियम में मेस्सी-दर्शन में अव्यवस्था के लिए जिम्मेदार ठहराया गया था, उसी तरह की व्यवस्था बांके बिहारी मंदिर में भी लागू होने का आरोप लगाया गया है।
गोस्वामी समुदाय का आरोप
मंदिर के परंपरागत पुजारी गोस्वामी समुदाय ने आरोप लगाया है कि उत्तर प्रदेश प्रशासन ने वीआईपी दर्शन के दबाव में मंदिर की सदियों पुरानी समय-सारिणी में बदलाव कर दिया है। इस फैसले के खिलाफ गोस्वामियों ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। परंपरा के अनुसार मौसम के हिसाब से मंदिर का समय बदला जाता है और दोपहर में भगवान के विश्राम (निद्रा) के लिए मंदिर कुछ समय के लिए बंद रहता है लेकिन अब प्रशासन इस परंपरा का पालन नहीं कर रहा।
‘विशेष दर्शन’ का विवाद
आरोप है कि भगवान के विश्राम के समय को ही ‘विशेष दर्शन’ के लिए तय कर दिया गया है। इस दौरान आम भक्तों को मंदिर में प्रवेश नहीं दिया जाता जबकि भारी रकम चुकाने पर वीआईपी दर्शन की अनुमति दी जाती है। इससे भगवान की पारंपरिक विश्राम परंपरा बाधित हो रही है।
कोर्ट की सख्त टिप्पणी
प्रशासन के फैसले पर सवाल उठाते हुए मुख्य न्यायाधीश की पीठ ने कहा कि जब मंदिर आम लोगों के लिए बंद रहता है तब आप मोटी रकम देने वालों को पूजा करने की इजाजत देते हैं।
परंपरा बनाम भीड़ नियंत्रण
मंदिर पुजारियों की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता श्याम दीवान ने कहा कि मंदिर की समय-सारिणी पवित्र है और इसे बचाना धर्म है। प्रशासन द्वारा लागू नई व्यवस्था से ‘देहरी पूजा’ जैसी प्राचीन परंपराएं प्रभावित हो रही हैं। उन्होंने यह भी कहा कि भीड़ नियंत्रण जरूरी है लेकिन इसके नाम पर प्रभावशाली लोगों को विशेष सुविधाएं देना उचित नहीं।
आगे की कार्रवाई
सभी पक्षों की दलीलें सुनने के बाद सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश सरकार, जिला प्रशासन और मंदिर प्रबंधन समिति को नोटिस जारी किया है। इस हाई-प्रोफाइल मामले की अगली सुनवाई जनवरी के पहले सप्ताह में होगी। फिलहाल वृंदावन में एक ही सवाल गूंज रहा है-भगवान का विश्राम बड़ा या पैसे के दम पर वीआईपी दर्शन?