राज्य सरकार के अधिनस्थ सभी कॉलेजों के प्रोफेसरों व शिक्षाकर्मियों के फैमिली पेंशन को लेकर राज्य सरकार ने बड़ी घोषणा की है। इन कॉलेजों के प्रोफेसरों और शिक्षा कर्मियों को मिलने वाले फैमिली पेंशन का दायरा और बढ़ा दिया गया है। उच्च शिक्षा विभाग ने हाल ही में एक विज्ञप्ति जारी कर इस बात की घोषणा की है। अब से सरकार समर्थित कॉलेजों के प्रोफेसर और शिक्षा कर्मियों के शारीरिक व मानसिक रूप से दिव्यांग बच्चों को भी फैमिली पेंशन के दायरे में लाया गया है जो अब तक नहीं था।
अगर राज्य सरकार समर्थित किसी कॉलेज के प्रोफेसर और शिक्षाकर्मी (चाहे वह कार्यरत हो या रिटायर्ड हो) का कोई बच्चा मानसिक या शारीरिक रूप से दिव्यांग है और 25 साल की उम्र पूरी करने के बाद भी कमाने में काबिल नहीं है तो उसे पूरी जिंदगी फैमिली पेंशन मिलेगी। यह नियम राज्य के उच्च शिक्षा विभाग ने शुरू की है।
सरकारी कॉलेज में काम करने वाले व्यक्ति की गैर-मौजूदगी (मृत्यु होने पर) में उसकी पत्नी को पेंशन मिलता था। पिछले साल यह नियम बनाया गया कि उस प्रोफेसर अथवा शिक्षाकर्मी की अविवाहित, विधवा या तलाकशुदा बेटियों को भी फैमिली पेंशन मिलेगी।
उन्हें 25 साल की उम्र के बाद भी इस पेंशन का फायदा मिलेगा। अब सरकारी कॉलेजों के प्रोफेसरों और कर्मचारियों के शारीरिक या मानसिक रूप से बीमार (दिव्यांग) बच्चों को भी उस फैमिली पेंशन के दायरे में लाया गया है।
अगर किसी सरकारी कॉलेज के टीचर या शिक्षाकर्मी का कोई बच्चा मानसिक या शारीरिक रूप से दिव्यांग है और दूसरी अविवाहित, तलाकशुदा या विधवा बेटी है तो दिव्यांग बच्चे को पेंशन के मामले में प्राथमिकता दी जाएगी।