पश्चिम बंगाल में बूथ स्तर के अधिकारी या बीएलओ और फील्ड वर्करों पर हमलों की घटनाओं पर गहरी चिंता व्यक्त करते हुए चुनाव आयोग (ईसी) ने इस बार अभूतपूर्व कड़े दिशा-निर्देश जारी किए हैं। साथ ही पूरे प्रक्रिया में पारदर्शिता बनाए रखने के लिए राज्य में 'स्पेशल रोल ऑब्जर्वर' या विशेष पर्यवेक्षक भेजे जा रहे हैं।
कमीशन ने गौर किया है कि मतदाता सूची में विशेष गहन संशोधन या 'स्पेशल इंटेंसिव रिविज़न' (SIR) के दौरान घर-घर जानकारी एकत्र करने के समय कुछ बीएलओ को धमकाया जा रहा है। राज्य में 80,000 से अधिक बीएलओ वर्तमान में इस काम से जुड़े हैं। उनकी सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए राज्य के मुख्य निर्वाचन अधिकारी (सीईओ) मनोज अग्रवाल और राज्य पुलिस के डीजी राजीव कुमार को कमीशन के अधिकारियों ने कड़े पत्र भेजे हैं। दोनों पत्रों में स्पष्ट रूप से कहा गया है कि किसी भी निर्वाचन कर्मचारी पर अत्याचार या हमले की घटना होने पर पुलिस को तुरंत एफआईआर दर्ज करनी होगी। इस काम में लापरवाही हुई तो संबंधित अधिकारियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की चेतावनी भी कमीशन ने दी है।
संदर्भ के तौर पर, इस राज्य में 'सर' प्रक्रिया शुरू होने के बाद से ही राज्य के कुछ इलाकों में बीएलओ पर हमलों की शिकायतें सामने आई हैं। 'सर' शुरू होने के समय से ही बीएलओ ने अपनी सुरक्षा को लेकर चिंता व्यक्त की थी लेकिन उस समय किसी प्रकार की व्यवस्था चुनाव आयोग की तरफ से सुनाई नहीं दी। सवाल यह उठता है कि अब जब घर-घर जाकर गणना का काम लगभग खत्म हो गया है, तब इतने कड़े प्रबंध की चिट्ठी क्यों भेजी गई ? हालांकि आयोग के कई लोगों का कहना है कि अभी भी बीएलओ का काम पूरा होने में समय बाकी है।
एन्यूमरेशन फॉर्म को डिजिटलाइज करने के बाद छंटनी और जाँच के लिए बीएलओ को फिर से बहुत सारे मतदाताओं के घर जाकर जानकारी की पुष्टि करनी पड़ रही है। इसके अलावा, प्रारूपित मतदाता सूची जारी करने के बाद अगर किसी का नाम बाकी रह जाए, तो उस स्थिति में भी बीएलओ पर कार्रवाई हो सकती है। इसके बाद नए मतदाताओं के नाम जोड़ने या आपत्ति देने की प्रक्रिया चलेगी। उस समय भी यह सुनिश्चित करने के लिए कि बीएलओ पर हमला न हो, यह कड़ा कदम उठाया गया है।
दूसरी ओर, मतदाता सूची संशोधन के कार्य को सही ढंग से पूरा करने के लिए पश्चिम बंगाल समेत आठ राज्यों में विशेष पर्यवेक्षक नियुक्त किए गए हैं। ये पर्यवेक्षक 2026 के फरवरी में अंतिम सूची प्रकाशित होने तक प्रत्येक सप्ताह दो दिन राज्यों में उपस्थित रहेंगे। वे राज्य के मुख्य चुनाव अधिकारी, जिलाधिकारियों और विभिन्न राजनीतिक दलों के प्रतिनिधियों के साथ नियमित बैठक करेंगे। आयोग का स्पष्ट संदेश—सटीक मतदाता सूची तैयार करनी है, जिसमें किसी योग्य मतदाता का नाम छूटे नहीं और कोई नकली नाम सूची में शामिल न हो।