समाचार एई समय: कैनिंग में 2003 के पंचायत चुनाव से ठीक पहले राज्य की सत्तारूढ़ पार्टी के अंदरूनी गुटीय संघर्ष के चलते दो पक्षों के बीच बमबारी और गोलीबारी में एक व्यक्ति की हत्या कर दी गई थी—ऐसा आरोप लगाया गया है। आरोप यह भी है कि यह सब स्थानीय विधायक के निर्देश पर और पुलिस अधिकारियों की मौजूदगी में हुआ। ऐसे में इस घटना की जांच CID जैसी एजेंसी को क्यों नहीं सौंपी गई, इस बार कलकत्ता हाई कोर्ट ने इस पर सवाल उठाया है। कई दिनों बाद यह मामला सोमवार को न्यायमूर्ति जय सेनगुप्ता की अदालत में आया। मामले की जांच फिलहाल कैनिंग थाने के हाथ में है। हाई कोर्ट ने सोमवार को पुलिस को केस डायरी समेत जांच से जुड़ी सभी दस्तावेज़ सीलबंद लिफाफे में जमा करने का निर्देश दिया। अगली सुनवाई की तारीख 15 दिसंबर तय की गई है।
याचिकाकर्ता के परिवार के सदस्य की हत्या
करीब ढाई साल पहले घटी इस घटना में पुलिस की निष्क्रियता का आरोप लगाते हुए जिस व्यक्ति सीराजुल इस्लाम घरामी ने कलकत्ता हाई कोर्ट में मामला दायर किया था। उनके परिवार के सदस्य की हत्या हुई थी। हाई कोर्ट में सीराजुल के वकील सौरव चट्टोपाध्याय ने दावा किया कि शासक दल के नेता एवं विधायक के निर्देश पर और पुलिस अधिकारियों की मौजूदगी में बमबाजी और गोलीबारी हुई तथा एक व्यक्ति की हत्या की गई। ऐसे में वहां स्थानीय थाने की पुलिस की जांच में न तो निष्पक्षता होगी और न ही पारदर्शिता। न्यायमूर्ति सेनगुप्ता ने सवाल किया, “CID जैसी एजेंसी को जांच की जिम्मेदारी क्यों नहीं दी गई?”
CBI या NIA जांच की मांग भी उठी
याचिका में आरोप लगाया गया है कि यह सब ओसी, एसडीपीओ की मौजूदगी में और स्थानीय विधायक के निर्देश पर हुआ। याचिकाकर्ता की ओर से कहा गया कि “निष्पक्ष जांच के लिए हमने CBI या NIA जांच की मांग की थी।” इसके बाद ही अदालत ने केस डायरी समेत सभी जांच दस्तावेज़ मुहरबंद लिफाफे में जमा करने का निर्देश दिया।