दिल्ली में फर्जी कॉल सेंटर का भंडाफोड़, मास्टरमाइंड गिरफ्तार; 10 लाख रुपये बरामद

बीमा कंपनियों के नाम पर देशभर के लोगों से हो रही थी ठगी

By श्वेता सिंह

Nov 22, 2025 19:04 IST

दिल्ली पुलिस ने पटेल नगर इलाके में चल रहे एक फर्जी कॉल सेंटर का भंडाफोड़ किया है, जहां से साइबर ठग बीमा कंपनियों के प्रतिनिधि बनकर लोगों को धोखा दे रहे थे। पुलिस ने मुख्य आरोपी खेमचंद (35) को गिरफ्तार कर उसके पास से 10 लाख रुपये नकद, 11 कीपैड मोबाइल फोन, दो लैपटॉप, फर्जी रबर स्टैंप और नकली मोटर बीमा पॉलिसियों के पत्र बरामद किए।

कॉल सेंटर में 11 महिला टेली-कालर भी मिलीं

पुलिस के अनुसार, मौके से 11 महिला टेली-कालर भी मिलीं, जिन्हें कॉल सेंटर में अवैध रूप से रोजगार दिया गया था। यह कॉल सेंटर एक इमारत की दूसरी मंजिल से संचालित हो रहा था।

वाहन मालिकों का डाटा ऑनलाइन खरीदा जाता था

डीसीपी सेंट्रल निढिन वल्सन के अनुसार, आरोपी ऑनलाइन डेटाबेस से वाहन मालिकों का विवरण 5 रुपये प्रति एंट्री के हिसाब से खरीदता था। इस डेटा में वाहन से जुड़ी जानकारी और मालिकों के मोबाइल नंबर शामिल होते थे। इसके बाद टेली-कालर उन लोगों को निशाना बनाते थे, जिनकी मोटर बीमा पॉलिसी समाप्त होने वाली होती थी।

नकली बीमा पॉलिसी बनाकर भेजते थे

पीटीआई की रिपोर्ट के मुताबिक, टेली-कालर खुद को वैध बीमा कंपनियों का प्रतिनिधि बताते और वाहन मालिकों से पॉलिसी "रिन्यू" कराने की बात कहते थे। जैसे ही कोई व्यक्ति सहमत होता, खेमचंद अपने लैपटॉप पर फर्जी मोटर बीमा पॉलिसी तैयार करता और उसे मैसेजिंग ऐप के जरिए भेज देता या फिर कैश-ऑन-डिलीवरी पर भेजकर पैसा वसूलता था। बैंक खाते का उपयोग केवल ठगी की रकम छिपाने में करता था।

ठगी के पैसे सीधे खे्मचंद के निजी बैंक खाते में जमा होते थे और वह नियमित रूप से खाते से पैसे निकाल लेता था ताकि प्रवर्तन एजेंसियों को खाते पर शक न हो या उसे फ्रीज़ न किया जा सके। पुलिस के मुताबिक, मास्टरमाइंड खे्मचंद पोस्टग्रेजुएट है। उसने नौकरी न मिलने के कारण यह फर्जी “मोटर इंश्योरेंस” कॉल सेंटर शुरू किया। उसने 11 महिलाओं को 8,000 रुपये मासिक वेतन पर रखा था और सफल ठगी पर 2% इंसेंटिव भी देता था।

पुलिस आगे की जांच में जुटी

पुलिस ने बताया कि बरामद 10 लाख रुपये इसी ठगी के जरिए कमाए गए हैं। बीएनएस की संबंधित धाराओं के तहत मामला दर्ज कर लिया गया है। अब पुलिस यह पता लगाने में जुटी है कि इस ठगी में और कौन-कौन शामिल था और कितने लोग इससे लाभान्वित हुए।

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