इस वर्ष जुलाई में जगदीप धनखड़ के उपराष्ट्रपति पद से इस्तीफा देने की खबर सामने आते ही पूरे देश में हलचल मच गई थी। राजनीतिक गलियारों में तीखी चर्चाएं शुरू हो गईं। हालांकि इस घटना के बाद लगभग चार महीनों तक धनखड़ सार्वजनिक रूप से लगभग नदारद रहे।
शुक्रवार को वे भोपाल में एक पुस्तक विमोचन कार्यक्रम में उपस्थित हुए। वहीं उन्होंने एक संकेतपूर्ण टिप्पणी की। धनखड़ ने कहा, “भगवान करे कोई भी भ्रमित धारणाओं के चक्रव्यूह में न फंसे। इस नैरेटिव का चक्रव्यूह अत्यंत खतरनाक है।”
हालांकि तुरंत ही उन्होंने स्पष्ट किया कि वह इस उदाहरण में स्वयं की बात नहीं कर रहे हैं। बावजूद इसके, उनकी इस टिप्पणी को बेहद महत्वपूर्ण माना जा रहा है।
इस्तीफा क्यों दिया था धनखड़ ने?
इस वर्ष 21 जुलाई की रात को जगदीप धनखड़ ने उपराष्ट्रपति पद से इस्तीफा दे दिया था। उनका कार्यकाल अगस्त 2027 में समाप्त होना था। लेकिन उससे पहले ही उन्होंने यह निर्णय क्यों लिया? इस पर व्यापक सवाल उठे थे।
धनखड़ ने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को भेजे पत्र में लिखा था कि डॉक्टरों की सलाह और अपनी स्वास्थ्य स्थिति को ध्यान में रखते हुए उन्हें यह कदम उठाना पड़ा है।
हालांकि उस समय यह चर्चा भी खूब थी कि उनके इस्तीफे के पीछे और भी कारण हो सकते हैं। संवैधानिक पद पर रहते हुए धनखड़ ने जिस तरह देश की शीर्ष अदालत के अधिकार क्षेत्र पर लगातार सवाल उठाए थे, उससे केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी दोनों बेहद असंतुष्ट थे—ऐसी कानाफूसी राजनीतिक हलकों में चल रही थी।
इन अटकलों पर धनखड़ ने कभी कोई प्रतिक्रिया नहीं दी। बल्कि इस्तीफे के बाद वे लगभग सार्वजनिक जीवन से दूर ही रहे। इसी वजह से भोपाल में उनका “चक्रव्यूह” वाला बयान अत्यंत संकेतपूर्ण माना जा रहा है।