शिमलाः हिमाचल प्रदेश में बॉलीवुड फिल्म की कहानी जैसी खबर मिली है। 16 साल की उम्र में सिर में चोट लगने के बाद अपनी स्मृति खोने वाले रिखी 45 साल बाद अपने घर लौटे हैं। अब वे 61 साल की उम्र वाले रवि चौधरी के रूप में अपने परिवार से मिले हैं। पिछले सप्ताह रिखी अपनी पत्नी और बच्चों के साथ सिरमौर जिले के नदी गांव लौटे। परिवार को विश्वास ही नहीं हो रहा था कि वह उनके बीच जीवित हैं। गांव और घर में उनके स्वागत के लिए फूल, संगीत और आँसुओं का समुंदर था। उनके भाई-बहन दुर्गा राम, चंदर मोहन, चंद्रमणि, कौशल्या देवी, काला देवी और सुमित्रा देवी भावुक होकर उस भाई को देखकर रो पड़े, जिसे उन्होंने मरा हुआ मान लिया था।
रिखी के चचेरे भाई और नदी गांव के निवासी नदी गांव ने कहा कि ऐसे मामले बेहद कम होते हैं। परिवार और गांव में खुशी की लहर है। रिखी हरियाणा के यमुनानगर में एक होटल में काम कर रहे थे, जब 1980 में अंबाला की यात्रा के दौरान उनका गंभीर सड़क दुर्घटना का शिकार हुए और उनकी स्मृति पूरी तरह चली गई। वे अपनी पहचान और नाम तक भूल गए। बाद में उनके मित्रों ने उन्हें रवि चौधरी नाम दिया। अपने अतीत को भूलकर रिखी मुंबई चले गए, छोटे-मोटे काम किए और फिर महाराष्ट्र के नांदेड में कॉलेज में नौकरी करने लगे। उन्होंने संतोषी से शादी की और उनके तीन बच्चे हैं-दो बेटियां और एक बेटा।
कुछ महीने पहले एक और सिर में चोट ने उनकी जिंदगी बदल दी। नदी गांव के आम के पेड़, संकरी गलियों और सतौन के आंगन की पुरानी यादें उनके सपनों में लौट आईं। धीरे-धीरे उन्होंने महसूस किया कि ये सपने नहीं, बल्कि उनकी खोई हुई यादें हैं। रिखी ने एक कॉलेज छात्र की मदद से सतौन का पता लगाया और गूगल पर खोजते समय एक कैफे का नंबर मिला। उन्होंने रुद्र प्रकाश नामक ग्रामीण बुजुर्ग से संपर्क किया। 15 नवंबर को वह आखिरकार अपने परिवार से मिल पाए।