नयी दिल्लीः ‘संचार साथी’ ऐप को लेकर विवाद शुरू होते ही केंद्र ने अपना रुख स्पष्ट किया। इस विषय में मंगलवार को दूरसंचार मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने कहा कि फोन में संचार साथी ऐप इंस्टॉल करना बिल्कुल भी अनिवार्य नहीं है। इसका उपयोग पूरी तरह ग्राहक की इच्छा पर निर्भर करता है।
स्मार्टफोन उपयोगकर्ताओं की ‘सुरक्षा’ मजबूत करने के लिए सरकारी साइबर सुरक्षा ऐप ‘संचार साथी’ को देश के सभी फोन में प्री-इंस्टॉल करने के निर्देश जारी होते ही बड़ा विवाद शुरू हो गया। शुरू में दावा किया गया था कि फोन से इस ऐप को डिलीट नहीं किया जा सकेगा। इसी बात का सबसे ज्यादा विरोध हुआ। इस भ्रम को दूर करते हुए मंगलवार को केंद्रीय मंत्री सिंधिया ने कहा कि यदि उपयोगकर्ता चाहें तो वे फोन से इस ऐप को निष्क्रिय कर सकते हैं। जरूरत पड़ने पर इसे फिर सक्रिय कर सकते हैं। चाहें तो संचार साथी ऐप को डिलीट भी किया जा सकता है।
सोमवार को मोदी सरकार की नई दिशानिर्देश सामने आई, जिसमें कहा गया कि भारत में बेचे जाने वाले हर नए स्मार्टफोन में सरकारी साइबर सुरक्षा ऐप ‘संचार साथी’ को प्री-इंस्टॉल करना अनिवार्य होगा। इसके अलावा यूज़र चाहकर भी इस ऐप को फोन से डिलीट नहीं कर सकेंगे। इस बिंदु को लेकर विपक्ष ने सबसे अधिक आपत्ति जताई। विपक्ष ने आशंका जताई कि यह ऐप वास्तव में एक स्पाइवेयर है। कई लोगों ने इसकी तुलना कुख्यात पेगासस स्पाइवेयर (Pegasus) से भी की।
इस विषय पर संसद परिसर में पत्रकारों के प्रश्न के उत्तर में केंद्रीय दूरसंचार मंत्री सिंधिया ने कहा कि संचार साथी आप अपने फोन में रखना चाहें तो रखें। अगर नहीं रखना चाहते तो डिलीट कर दें। उदाहरण के तौर पर जब आप एक फोन खरीदते हैं तो उसमें कई ऐप पहले से इंस्टॉल रहते हैं। गूगल मैप भी होता है। अगर आप गूगल मैप का उपयोग नहीं करना चाहते तो उसे डिलीट कर दीजिए।
उल्लेखनीय है कि एंड्रॉयड फोन से गूगल मैप पूरी तरह हटाया नहीं जा सकता लेकिन उसे निष्क्रिय किया जा सकता है। वहीं आईफोन से गूगल मैप को पूरी तरह हटाया जा सकता है।