अध्ययन का खुलासा: मच्छरजनित बीमारियां इंसानियत के लिए सबसे तेजी से बढ़ता खतरा

जलवायु परिवर्तन बना प्रमुख कारण, गरीबी और दवा प्रतिरोध भी बढ़ा रहे संकट।

By श्वेता सिंह

Dec 04, 2025 19:34 IST

नई दिल्ली। एक अंतरराष्ट्रीय अध्ययन में चौंकाने वाला खुलासा हुआ है कि मलेरिया, डेंगू जैसी मच्छरजनित बीमारियां मानवता के लिए सबसे तेजी से बढ़ते खतरों में शामिल हो चुकी हैं। इन बीमारियों के बाद टीबी और HIV/AIDS भी बढ़ते जोखिमों की सूची में हैं। अध्ययन में 151 देशों के 3,700 से अधिक स्वास्थ्य विशेषज्ञों और शोधकर्ताओं की राय शामिल की गई।

रिपोर्ट के अनुसार, जलवायु परिवर्तन इन बीमारियों के प्रसार का सबसे बड़ा कारण बनकर उभरा है। इसके अलावा गरीबी और एंटीमाइक्रोबियल रेजिस्टेंस (दवाओं का असर कम होना) भी स्थिति को गंभीर बना रहे हैं।

अगली महामारी ‘धीमी रफ्तार’ से आने वाला मानव संकट हो सकता है

ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने चेतावनी दी है कि अगली वैश्विक स्वास्थ्य आपदा कोई अचानक फैलने वाला संक्रमण नहीं होगा, बल्कि धीरे-धीरे बढ़ता मानवीय संकट हो सकता है। उन्होंने कहा कि तापमान में वृद्धि और बारिश के पैटर्न में बदलाव से मच्छरों के प्रजनन के लिए अनुकूल परिस्थितियां तैयार हो रही हैं, जिससे ये बीमारियां नई भौगोलिक क्षेत्रों में भी फैल सकती हैं।

'ग्लोबल साउथ' में सबसे ज्यादा मार-जिन्हें संसाधन कम, जोखिम ज्यादा

अध्ययन की वरिष्ठ लेखिका ट्रूडी लैंग ने बताया कि जलवायु परिवर्तन का सीधा असर ग्लोबल साउथ के देशों पर पड़ रहा है, जहां स्वास्थ्य संसाधन सीमित हैं और बीमारियों का बोझ सबसे अधिक है। उन्होंने कहा कि यह शोध इस बात का प्रमाण है कि वैश्विक स्वास्थ्य संकट पहले से ही कई समुदायों के दैनिक जीवन में गहराई तक पैठ चुका है।

पीटीआई के मुताबिक, शोधकर्ताओं ने कहा कि यह खतरा किसी अचानक फैली महामारी की तरह नहीं दिखेगा, बल्कि धीमे-धीमे बढ़ती बीमारियों के रूप में सामने आएगा, जो स्वास्थ्य प्रणालियों और अर्थव्यवस्थाओं पर भारी दबाव डालेंगी।

चरम मौसम, बाढ़ और सूखा-बीमारियों के प्रसार के नए रास्ते

वेलकम ट्रस्ट की महामारी विशेषज्ञ जोज़ी गोल्डिंग ने बताया कि बढ़ते तापमान, लगातार बाढ़ और लंबे सूखे ऐसे हालात पैदा कर रहे हैं जिनमें मच्छर, कीट और हानिकारक बैक्टीरिया तेजी से पनपते हैं। उन्होंने कहा कि जलवायु परिवर्तन का असर सबसे ज्यादा उन समुदायों पर पड़ता है जो पहले ही संसाधनों की कमी से जूझ रहे हैं। गोल्डिंग ने इस संकट को रोकने के लिए तत्काल वैश्विक जलवायु कार्रवाई और संक्रामक बीमारियों की रोकथाम व इलाज में नवाचार की आवश्यकता बताई।

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