भारत की नई इलेक्ट्रिक कार प्रोत्साहन योजना पर कंपनियों का ठंडा रुख

बुधवार को संसद में केंद्र ने इस बात को स्वीकार किया।

By सुदीप्त तरफदार, Posted by: श्वेता सिंह

Dec 04, 2025 18:12 IST

समाचार एई समय। भारत में इलेक्ट्रिक कार उत्पादन को तेज करने के लिए केंद्र की ‘स्कीम टू प्रोमोट मैन्युफैक्चरिंग ऑफ इलेक्ट्रिक पैसेंजर कार्स इन इंडिया’ (SPMEPCI) परियोजना शुरू की गई थी, लेकिन अब तक एक भी आवेदन नहीं मिला है। बुधवार को संसद में केंद्र ने यह स्वीकार किया।

केंद्रीय भारी उद्योग मंत्रालय की ओर से बताया गया कि इस योजना में आवेदन जमा करने की आख़िरी तारीख 21 अक्टूबर थी। उससे पहले दुनिया की कई बड़ी वाहन निर्माता कंपनियों के साथ व्यापक चर्चा और प्रयास किए गए, लेकिन किसी भी कंपनी ने इस परियोजना में भाग लेने के लिए आवेदन नहीं किया। मुख्य कारण यह है कि भारत-यूरोपीय संघ (EU) मुक्त व्यापार समझौते पर जारी बातचीत पूरी होने तक वे इंतजार करना चाहते हैं।

मंत्रालय के अनुसार, यूरोपीय संघ के साथ व्यापार समझौते का परिणाम क्या होगा-इसी पर प्रमुख इलेक्ट्रिक कार निर्माताओं का भविष्य निवेश और भारत में उत्पादन केंद्र स्थापित करने की योजना निर्भर करती है। इसलिए बातचीत पूरी होने से पहले कंपनियां जोखिम नहीं लेना चाहतीं। साथ ही, इलेक्ट्रिक कार के मोटर में प्रयुक्त होने वाले रेयर अर्थ मैग्नेट (दुर्लभ खनिज चुंबक) से जुड़े प्रतिबंधों पर भी आपत्ति जताई गई है। उद्योग जगत के एक बड़े हिस्से का मानना है कि इन मैग्नेट के बिना उच्च क्षमता वाले ईवी मोटर बनाना लगभग असंभव है। इन प्रतिबंधों के कारण परियोजना में निर्धारित 50% डोमेस्टिक वैल्यू एडिशन (DVA) लक्ष्य हासिल करना मुश्किल हो सकता है।

इसके अलावा, परियोजना में शामिल होने के लिए न्यूनतम 4,150 करोड़ रुपये के निवेश की शर्त और सिर्फ तीन साल में उत्पादन केंद्र स्थापित करने की समयसीमा को पूरा कर पाना भी अंतरराष्ट्रीय ईवी निर्माताओं के लिए कठिन बताया गया है। वैश्विक बाजार में इलेक्ट्रिक वाहन निर्माण के लिए आवश्यक कच्चे माल की आपूर्ति श्रृंखला में अनिश्चितता को इसका मुख्य कारण माना जा रहा है।

इस वर्ष मार्च में केंद्र ने इस परियोजना की अधिसूचना जारी की थी। इसके तहत चयनित कंपनियों को पाच वर्षों तक बहुत कम - सिर्फ 15% ड्यूटी में निश्चित संख्या में विदेश में निर्मित इलेक्ट्रिक कारें आयात करने की अनुमति दी जाएगी। लेकिन शर्त यह है कि कंपनियों को भारत में उत्पादन शुरू करना होगा और पांच वर्षों के भीतर 50% घरेलू मूल्य वर्धन सुनिश्चित करना होगा। जो आयात शुल्क में छूट दी जाएगी, उसके बराबर राशि या वादा किए गए निवेश के लिए कंपनियों को बैंक गारंटी भी जमा करनी होगी।

भारी उद्योग मंत्रालय ने बताया कि परियोजना में भागीदारी बढ़ाने के लिए विदेशी दूतावासों, इन्वेस्ट इंडिया, राज्य सरकारों और विभिन्न निवेश एजेंसियों के साथ नियमित संपर्क रखा गया है। हाल ही में सभी हितधारकों के साथ एक बैठक भी हुई, जिसमें निर्माताओं के सवाल और चिंताओं को सुना गया। हालांकि, मंत्रालय ने स्पष्ट कर दिया है कि फिलहाल परियोजना की शर्तों में संशोधन या आवेदन की अंतिम तिथि बढ़ाने का कोई प्रस्ताव विचाराधीन नहीं है।

Prev Article
केंद्र जल्द ही लेबर कोड का ड्राफ्ट प्रकाशित करेगा
Next Article
राज्यसभा में उठी मांग: तंबाकू व शराब के 'भ्रामक विज्ञापनों' पर तुरंत रोक लगे

Articles you may like: