राज्यसभा में उठी मांग: तंबाकू व शराब के 'भ्रामक विज्ञापनों' पर तुरंत रोक लगे

सांसदों ने कहा-कैंसर और मौतों का बढ़ता खतरा, कड़े कदम जरूरी

By श्वेता सिंह

Dec 04, 2025 18:45 IST

समाचार एई समय। राज्यसभा के कई सदस्यों ने गुरुवार को सरकार से तंबाकू, शराब और अन्य नशे से जुड़े उत्पादों के “भ्रामक विज्ञापनों” पर तुरंत रोक लगाने की मांग की। सदस्यों का कहना है कि इन विज्ञापनों की आड़ में लोगों में इन उत्पादों के उपभोग को परोक्ष रूप से बढ़ावा दिया जा रहा है, जबकि देश में कैंसर और अन्य गंभीर बीमारियों से होने वाली मौतों का आंकड़ा चिंताजनक स्तर पर है। पीटीआई की खबर के मुताबिक, सदन में यह मुद्दा उस समय उठा जब केंद्रीय उत्पाद शुल्क (संशोधन) विधेयक, 2025 चर्चा के लिए प्रस्तुत किया गया। यह विधेयक GST मुआवजा उपकर समाप्त होने के बाद तंबाकू उत्पादों पर उच्च उत्पाद शुल्क लगाने का प्रावधान करता है।

WHO रिपोर्ट का हवाला-हर साल 13.5 लाख लोगों की मौत

भाजपा सांसद संजय सेठ ने कहा कि पुरुष, महिलाएं और यहां तक कि बच्चे भी तंबाकू के उपयोग की ओर बढ़ रहे हैं, जिससे कैंसर, हृदय और फेफड़ों की बीमारियां तेजी से बढ़ रही हैं। उन्होंने WHO की रिपोर्ट का हवाला देते हुए बताया कि भारत में हर साल लगभग 13.5 लाख लोगों की मौत तंबाकू से जुड़ी बीमारियों से होती है।

उन्होंने आरोप लगाया कि तंबाकू और शराब उत्पादों के विज्ञापन प्रतिबंधित होने के बावजूद कंपनियां सोडा, पानी की बोतलों के नाम पर प्रचार कर रही हैं। उन्होंने ऐसे विज्ञापनों पर तुरंत रोक लगाने और बिल से मिलने वाले राजस्व का एक हिस्सा कैंसर रिसर्च और जागरूकता पर खर्च करने की मांग की।

‘पान मसाला’ के नाम पर ‘गुटखा’ का प्रचार बंद करने की मांग

बसपा सांसद रामजी ने कहा कि गुटखा कंपनियां पान मसाला के नाम पर गलत तरीके से प्रचार कर रही हैं। उन्होंने टीवी पर कैंसर पीड़ितों की वास्तविक कहानियों वाले जागरूकता अभियान बढ़ाने और फिल्मी कलाकारों द्वारा तंबाकू उत्पादों के प्रचार पर पूर्ण प्रतिबंध लगाने की मांग की। उन्होंने गुटखा व सिगरेट विक्रेताओं के लिए लाइसेंस प्रणाली अनिवार्य करने का सुझाव भी दिया।

भाजपा के गोविंदभाई ढोलकिया ने कहा कि उनकी कंपनी में 7,000 से अधिक कर्मचारी काम करते हैं और सभी तंबाकू-रहित हैं। उन्होंने भारत को भी ऐसा ही “एडिक्शन-फ्री” बनाने की अपील की। AIADMK के एम. थंबिदुरई ने बिल का समर्थन करते हुए कहा कि यह सार्वजनिक स्वास्थ्य की दृष्टि से जरूरी है, लेकिन राज्यों के हिस्से से कोई समझौता नहीं होना चाहिए। कांग्रेस सांसद जेबी मैथर हिशाम ने कहा कि भारत में हर साल 10 लाख से अधिक लोगों की मौत तंबाकू से होती है। उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार इस ‘सिन टैक्स’ का उपयोग GST की कमियों से उत्पन्न राजस्व घाटा पूरा करने के लिए कर रही है।

तंबाकू पर नए कर—क्या होगा महंगा?

विधेयक के अनुसार:

कच्चे तंबाकू पर 60–70% उत्पाद शुल्क।

सिगार/चेरूट्स पर 25% या ₹5,000 प्रति 1,000 स्टिक (जो अधिक हो)।

सिगरेट पर ₹2,700 से ₹11,000 प्रति 1,000 स्टिक, लंबाई और फिल्टर के आधार पर।

लोकसभा में बिल पहले ही पारित हो चुका है और लागू होने पर सरकार को तंबाकू कर ढांचा मजबूत करने और स्वास्थ्य क्षेत्र में सुधार के लिए अतिरिक्त वित्तीय क्षमता मिलेगी।

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