बेंगलुरु में ट्रैजेडी: अधूरे घर में मिला आईटी कर्मचारी का फांसी पर लटका शव

इस दिन उनके शव के पास से 10 पन्नों का सुसाइड नोट बरामद हुआ।

By अयंतिका साहा, Posted by: प्रियंका कानू

Dec 04, 2025 17:47 IST

कर्नाटक: बेंगलुरु के सॉफ़्टवेयर इंजीनियर का घर बनाने का सपना ही उनके लिए काल बन गया। बुधवार सुबह एक निर्माणाधीन घर की दोमंजिला इमारत से उस इंजीनियर का झूलता हुआ शव बरामद किया गया। सूत्रों के अनुसार, मृतक का नाम मुरली गोविंदराजु 45 वर्षीय था। वह आईटीपीएल कंपनी में काम करता था। उनके शव के पास 10 पृष्ठों का सुसाइड नोट भी पाया गया। पुलिस ने घटना की जांच शुरू कर दी है।

सूत्रों के अनुसार, सुसाइड नोट में मुरली ने अपने पड़ोसियों और ग्रेटर बैंगलोर म्यूनिसिपल कॉर्पोरेशन के कुछ अधिकारियों के खिलाफ गंभीर आरोप लगाए। मुरली ने अपने पड़ोसियों और कुछ अधिकारियों के खिलाफ आत्महत्या के लिए उकसाने का आरोप लगाया। इस मामले में पहले ही उनके पडोसी शशि नाम्बियार 64 वर्षीय और उषा 57 वर्षीय को गिरफ्तार किया जा चुका है। नाम्बियार दंपती को 14 दिनों की जेल हिरासत में भेजा गया है। घटना के बाद से उनका बेटा वरुण फरार है। उसकी तलाश में पुलिस ने जांच शुरू कर दी है।

2018 में मुरली ने नाम्बिया के परिवार से 40x60 वर्ग फुट की जमीन खरीदी थी। वहीं मुरली ने अपना घर बनाने का सपना देखा था। लेकिन घर बनाने का काम शुरू होने के बाद ही पड़ोसियों और नाम्बिया परिवार के साथ संबंध धीरे-धीरे खराब होने लगे। उषा और शशि बार-बार शिकायत करते थे कि मुरली अनुमोदित योजना का पालन किए बिना घर बना रहे हैं इसलिए मुरली को 20 लाख रुपये जुर्माना देना होगा पर वह उस पैसे को देने के लिए राजी न होने पर उषा ने बेंगलुरु नगर निगम में शिकायत दर्ज कराई।

पुलिस ने यह भी बताया कि उसने सुसाइड नोट में अपनी मां के लिए लिखा कि नई घर बनाने में विभिन्न जटिलताएं आ रही हैं। नाम्बिया के परिवार के सदस्य बार-बार उस पर विभिन्न प्रकार से दबाव डाल रहे हैं। जुर्माने के रूप में मुरली से लगभग 20 लाख रुपये की मांग नाम्बिया के परिवार ने की। बुधवार को ही इस पैसे को देने की आखिरी तारीख तय की थी। उसी दिन सुबह लगभग 6 बजे मुरली घर से बाहर निकले और निर्माणाधीन घर में जाकर आत्महत्या कर ली।

प्रारंभिक जांच में पता चला है कि 2018 से नाम्बिया के परिवार ने मुरली के खिलाफ कई शिकायतें दर्ज कराई हैं। इसके चलते मुरली को बेंगलुरु नगर निगम, पुलिस स्टेशन और स्थानीय अदालत में बार-बार चक्कर लगाना पड़ा। यहां तक कि बुधवार को उसे कोर्ट में पेश होने के लिए नोटिस भी भेजा गया था।

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