बेंगलुरु: कर्नाटक सरकार ने राज्य की सभी महिला सरकारी कर्मचारियों को हर महीने एक दिन का वैतनिक मासिक धर्म अवकाश देने का निर्णय लागू कर दिया है। कर्नाटक के उपमुख्यमंत्री डीके शिवकुमार ने गुरुवार को राज्य की मासिक धर्म अवकाश नीति का विरोध किए जाने पर प्रतिक्रिया देते हुए महिलाओं की समानता और सशक्तीकरण पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि सरकार समानता को बढ़ावा देने के लिए प्रतिबद्ध है और पुरुषों-महिलाओं में भेदभाव करने में विश्वास नहीं रखती। यह बयान उस समय आया है जब कर्नाटक सरकार द्वारा महिलाओं को एक दिन का मासिक धर्म अवकाश देने की योजना का विरोध किया जा रहा है।
पिछले महीने जारी आदेश के अनुसार 18 से 52 वर्ष की आयु की महिलाएं, जो मासिक धर्म से गुजरती हैं, इस सुविधा का लाभ उठा सकेंगी। यह प्रावधान स्थायी, संविदा और आउटसोर्स सभी कर्मचारियों पर लागू होगा। सरकार ने स्पष्ट किया है कि इस अवकाश के लिए किसी मेडिकल प्रमाणपत्र की आवश्यकता नहीं होगी और इसे अवकाश या उपस्थिति पुस्तिका में अलग से दर्ज किया जाएगा। साथ ही इसे किसी अन्य अवकाश के साथ नहीं जोड़ा जा सकेगा। यह नियम फैक्ट्री एक्ट 1948, कर्नाटक दुकान एवं वाणिज्य प्रतिष्ठान अधिनियम 1961, प्लांटेशन वर्कर्स एक्ट 1951, बीड़ी एवं सिगार वर्कर्स रोजगार शर्त अधिनियम 1966 और मोटर ट्रांसपोर्ट वर्कर्स एक्ट 1961 के तहत पंजीकृत सभी उद्योगों और प्रतिष्ठानों पर भी लागू होगा।
इस नीति को लेकर राज्य में विवाद भी खड़ा हो गया था क्योंकि बेंगलुरु होटल एसोसिएशन ने कर्नाटक उच्च न्यायालय में याचिका दायर कर सरकार के नवंबर वाले निर्देश को चुनौती दी थी। एसोसिएशन का कहना था कि सरकार ने निजी क्षेत्र पर यह नियम लागू किया, जबकि अपने ही सरकारी विभागों की महिला कर्मचारियों को पहले ऐसी सुविधा नहीं दी, इसलिए यह निर्देश भेदभावपूर्ण है। एसोसिएशन का यह भी आरोप था कि महिलाओं के सबसे बड़े नियोक्ताओं में शामिल राज्य सरकार ने खुद अपने कर्मचारियों के लिए यह प्रावधान लागू न करके पक्षपात किया। विवाद के बाद अब सरकार ने सरकारी क्षेत्र में भी यह सुविधा शुरू कर दी है और आदेश को तत्काल प्रभाव से लागू कर दिया है।