केंद्र सरकार ने 5 दिसंबर तक सभी वक्फ संपत्ति से जुड़ी जानकारी को पोर्टल पर रजिस्टर करने का आदेश दिया है। राज्य सरकार के अल्पसंख्यक मामलों और मदरसा शिक्षा विभाग ने पहले ही जिला मजिस्ट्रेटों को वक्फ से जुड़ी जानकारियों को सेंट्रल पोर्टल पर रजिस्टर करने का निर्देश दे दिया है। लेकिन राज्य के मंत्री सिद्दीकुल्ला चौधरी ने सवाल उठाया है कि इतने कम समय में इतनी बड़ी मात्रा में वक्फ संपत्ति की जानकारियों को सेंट्रल पोर्टल पर कैसे रजिस्टर किया जाएगा?
कांग्रेस ने केंद्रीय अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री किरेन रिजिजू को चिट्ठी लिखकर मोदी सरकार द्वारा तय की गई समयसीमा को बढ़ाने की मांग भी की है। इस तनाव के बीच मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने भरोसा दिलाया है कि कोई भी वक्फ की किसी भी संपत्ति को हाथ नहीं लगा पाएगा। साथ ही तृणमूल सुप्रीमो ने अपील की है कि सांप्रदायिक ताकतों की अफवाहों पर कोई भी ध्यान न दें।
मैं किसी हाथ लगाने नहीं दूंगी - ममता बनर्जी
मालदह के गाजोल में एक रैली को संबोधित करते हुए ममता बनर्जी ने आरोप लगाते हुए कहा कि कुछ सांप्रदायिक ताकतें धर्म के आधार पर गड़बड़ी फैला रही हैं। लोगों में फूट डाल रही हैं। मैं उनसे कहती हूं कि केंद्र की भाजपा (सरकार) ने वक्फ संपत्ति पर कानून बनाया है। हमने ऐसा नहीं किया। अगर स्पष्ट शब्दों में कहे तो हमने विधानसभा में इसके खिलाफ प्रस्ताव लाया था। हमने (राज्य सरकार ने) सुप्रीम कोर्ट में केस किया है। केस चल रहा है।
जब तक हम यहां हैं, हम किसी को भी इन जगहों को छूने नहीं देंगे। बता दें, मालदह और मुर्शिदाबाद राज्य के अल्पसंख्यक प्रभावित बड़े जिलों में से एक माना जाता है। केंद्र के वक्फ संशोधन एक्ट को लेकर मालदह और मुर्शिदाबाद जिलों में काफी हंगामा भी मचा था। ममता बनर्जी ने अपने संबोधन में कहा, 'मुझ पर भरोसा रखें। मैं किसी को भी मजार थान और जहर थान को छूने नहीं दूंगी। मैं न तो माजी थान में किसी को हाथ लगाने दूंगी और न ही किसी को हिंदू धार्मिक स्थलों को छूने दूंगी। मैं धर्म पर राजनीति नहीं करती।'
ममता बनर्जी हैं मौकपरस्त - शुभेंदु अधिकारी ने किया कटाक्ष
हालांकि विपक्षी पार्टी के नेता शुभेंदु अधिकारी ने वक्फ विवाद पर राज्य सरकार के रुख को लेकर मुख्यमंत्री पर पलटवार किया है। उन्होंने ममता बनर्जी पर मौकापरस्त राजनीति करने का आरोप लगाते हुए कहा कि उन्होंने CAA को NRC कहा। अब शरणार्थियों को CAA सर्टिफिकेट मिल रहा हैं। वह सच नहीं बोलतीं और न बोलेंगी।
शुभेंदु ने एक ओर वक्फ मामले में तृणमूल कांग्रेस के रुख की आलोचना करते हुए उसे 'मौकापरस्त' बताया है, वहीं ममता ने भाजपा पर धर्म की राजनीति करने का आरोप लगाया है। वक्फ संशोधन एक्ट को लेकर मालदह और मुर्शिदाबाद में हुई हिंसा के दौरान शुभेंदु अधिकारी और सुकांत मजूमदार समेत भाजपा नेताओं ने राज्य की सत्ताधारी पार्टी को कटघरे में खड़ा कर दिया था।
मुख्यमंत्री ने भाजपा पर साधा निशाना
ममता बनर्जी ने भाजपा पर निशाना साधते हुए कहा कि भाजपा मुझे हिंदुत्व नहीं सिखाएगी। मैं हिंदुत्व जानती हूं। हमने जगन्नाथ धाम बनाया है। हमने दक्षिणेश्वर में स्काईवॉक बनाया है। राज्य में महाकाल मंदिर तैयार किया जा रहा है। हम दुर्गा आंगन बना रहे हैं। आपने कौन सा काम नहीं किया? आपने क्या किया है? एकतरफा... उन्होंने कटाक्ष करते हुए कहा कि आपके धर्म का मुख्य उद्देश्य ही असली धर्म को भुला देना है।
बता दें, कांग्रेस वर्किंग कमेटी के सदस्य अधीर रंजन चौधरी ने केंद्रीय अल्पसंख्यक मामलों के मंत्रालय को वक्फ संपत्तियों के रजिस्ट्रेशन की समय सीमा बढ़ाने के लिए पत्र लिखा है। अधीर चौधरी ने कहा कि बंगाल में उत्तर प्रदेश से ज्यादा वक्फ संपत्तियां हैं। बंगाल में 1 लाख 48 हजार से ज्यादा वक्फ संपत्तियां हैं। इतनी कम अवधि के अंदर इन संपत्तियों की जानकारी को रजिस्टर करना असंभव है। उन्होंने रजिस्ट्रेशन प्रक्रिया को अनिश्चित काल के लिए बढ़ाने की मांग की है। साथ ही आरोप लगाया कि राज्य में वक्फ संपत्तियों को चालाकी से रजिस्टर किया जा रहा है। सभी संपत्तियों को निहित संपत्तियों के रूप में रजिस्टर किया जा रहा है।
CPM सेंट्रल कमेटी के सदस्य सुजन चक्रवर्ती ने कहा कि मुख्यमंत्री ने कहा था कि पश्चिम बंगाल में नया वक्फ एक्ट लागू नहीं होगा। अब वह इसका उल्टा कर रहे हैं। उन्होंने वक्फ एक्ट के हिसाब से सारी जानकारी रजिस्टर करने का आदेश दे दिया है। उन्होंने ऐसा क्यों किया? यह सवाल तो जरूर उठेगा।
हम हैं 'पहरेदार'
वाम और कांग्रेस के सवाल उठाने के बावजूद ममता बनर्जी स्पष्ट रूप से कह दिया कि वह राज्य की 'पहारेदार' हैं। उन्होंने कहा कि अगर आप साम्प्रदायिकता को बढ़ावा देते हैं, अगर आप अफवाह फैलाते हैं तो चिंता न करें - हम पहरेदार हैं। हम अपना खून दे देंगे, हम अपना कलेजा निकाल देंगे लेकिन हम धर्म के आधार पर बंटवारा नहीं होने देंगे। उन्होंने कहा कि किसी भी साम्प्रदायिक अफवाहों पर यकीन न करें।