देश में बेरोजगारी का ब्योरा मांगते हुए तृणमूल सांसद अभिषेक बंद्योपाध्याय ने संसद में प्रश्न उठाया था। श्रम मंत्रालय ने उसका जवाब दिया। उस जवाब से यह स्पष्ट हो गया कि देश में कुल बेरोजगारी दर भले ही कम हुई हो लेकिन युवा वर्ग से जुड़े आंकड़े बहुत संतोषजनक नहीं हैं। कम-से-कम जानकार सूत्र यही मानते हैं। देश में बेरोजगारी के ताजा आंकड़े श्रम और रोजगार मंत्रालय ने पेश किए हैं। पिछले पांच वर्षों के वार्षिक पीरियॉडिक लेबर फोर्स सर्वे (PLFS) के आंकड़ों के अनुसार, देश में कुल बेरोजगारी दर लगातार घट रही है लेकिन युवाओं की बेरोजगारी दर चिंता बढ़ा रही है।
अभिषेक ने पूरे देश में बेरोजगारी दर को लेकर लिखित प्रश्न किया था। विस्तार से उन्होंने जानना चाहा-गांव और शहर आधारित, महिला-पुरुष, युवा समाज और राज्यों के अनुसार क्या आंकड़े हैं। उन्होंने में लिखित में प्रश्न किया था: क्या पिछले कुछ वर्षों में महिलाओं और युवाओं में बेरोजगारी उल्लेखनीय रूप से बढ़ी है? पांच वर्षों में प्रगति कैसी है? कर्मचारियों की कौशल-वृद्धि या पुनः कौशल-विकास के लिए सरकार ने क्या किया? कितने लोग लाभान्वित हुए? श्रम और रोजगार राज्य मंत्री शोभा करंदलाजे ने इसका उत्तर दिया।
PLFS के आंकड़े बताते हैं कि 15 वर्ष और उससे अधिक आयु वालों की बेरोजगारी दर-
2019–20: 4.8%
2020–21: 4.2%
2021–22: 4.1%
2022–23 और 2023–24: 3.2%
15–29 वर्ष वालों, यानी युवाओं की बेरोजगारी दर-
2019–20: 15.0%
2020–21: 12.9%
2021–22: 12.4%
2022–23: 10.0%
2023–24: 10.2%
केंद्र का दावा है कि ये आंकड़े बताते हैं कि बेरोजगारी दर (महिलाएं व युवा सहित) घटी है। हालांकि आंकड़े यह भी बताते हैं कि हर 10 में 1 व्यक्ति बेरोजगार है। अभिषेक ने महिला-पुरुष की बेरोजगारी दर के बारे में भी लिखित रूप से पूछा। केंद्र के आंकड़ों से पता चलता है कि शहरी क्षेत्रों में महिलाओं की बेरोजगारी ग्रामीण क्षेत्रों की तुलना में अधिक है।
ग्रामीण क्षेत्रों में पुरुषों की बेरोजगारी 2019–20 में 4.5% थी, जो 2023–24 में घटकर 2.7% हो गई।
• ग्रामीण क्षेत्रों में महिलाओं की बेरोजगारी 2.6% से घटकर 2.1% हुई।
• शहरी क्षेत्रों में पुरुषों की बेरोजगारी 6.4% से घटकर 4.4% हुई।
• शहरी क्षेत्रों में महिलाओं की बेरोजगारी, हालांकि सबसे अधिक थी, लेकिन 8.9% से घटकर 7.1% हो गई।
केंद्र सरकार का दावा है कि गांव-शहर, महिला-पुरुष-सभी समूहों में बेरोजगारी दर पिछले पांच वर्षों में स्पष्ट रूप से कम हुई है। सरकार विभिन्न रोजगार और कौशल-वृद्धि कार्यक्रम चला रही है।