नयी दिल्लीः रेलवे द्वारा संरचनात्मक सुरक्षा और यात्री–सुरक्षा पर पेश की गई रिपोर्ट को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने रेलवे अधिकारियों से कई असहज सवाल पूछे। न्यायमूर्ति एहसानउद्दीन अमानुल्लाह और के. विनोद चंद्रन के पीठ ने पूछा कि दूरदराज़ की यात्रा के लिए ऑनलाइन टिकट खरीदने पर तो दुर्घटना बीमा मिलता है, लेकिन काउंटर से खरीदे गए ऑफलाइन टिकट पर यह सुविधा क्यों नहीं दी जाती?
एक रेल दुर्घटना मुआवज़ा मामले की सुनवाई के दौरान यह सवाल उठाया गया। पीठ ने अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल विक्रमजीत बंद्योपाध्याय से पूछा कि बीमा कवरेज के नियमों में यह अंतर क्यों है। IRCTC ने बताया कि ऑनलाइन टिकट बुक करते समय यात्रियों को बीमा लेने का विकल्प दिया जाता है। इच्छा रखने वाले यात्रियों से टिकट के साथ 45 पैसे अतिरिक्त काटे जाते हैं।
दुर्घटना की स्थिति में मृत्यु पर 10 लाख रुपये, स्थायी अंगहानि पर 7.5 लाख रुपये और चोट के अनुसार: 10,000 से 2,00,000 रुपये तक मुआवज़ा दिया जाता है। लेकिन ऑफलाइन टिकट पर यह सुविधा उपलब्ध नहीं है। इस भेदभाव पर सुप्रीम कोर्ट ने सवाल उठाया और साथ ही रेल पटरियों तथा लाइन पार करते समय लोगों की सुरक्षा पर भी ध्यान देने को कहा।
IRCTC के अनुसार 2025 के मध्य तक दूरदराज़ की ट्रेनों में 80-87% आरक्षित टिकट ऑनलाइन बुक किए गए। इस हिसाब से अधिकांश यात्री बीमा सुविधा पा गए, लेकिन जो यात्री ऑफलाइन टिकट लेते हैं, उनकी संख्या भी कम नहीं इसलिए कोर्ट ने इस अंतर पर आपत्ति जताई है। रेलवे पहले भी कई बार कह चुका है कि यात्री–सुरक्षा उनकी प्राथमिकता है और इसके लिए कई कदम भी उठाए गए हैं। इसके बावजूद दुर्घटनाएं और मौतें रुक नहीं पाई हैं, इसलिए दूरदराज़ की ट्रेनों में बीमा को बेहद महत्वपूर्ण माना जा रहा है।