मुंबईः पिछले सप्ताह शेयर बाजार की शुरुआत मजबूती के साथ हुई थी। सेंसेक्स और निफ्टी ने तेजी दिखाते हुए निवेशकों को बेहतर रिटर्न की उम्मीद दी, लेकिन सप्ताह के आखिरी तीन कारोबारी सत्रों में अचानक बढ़े सेलिंग प्रेशर ने बाजार की रफ्तार पर ब्रेक लगा दिया। खास तौर पर मंगलवार, बुधवार और शुक्रवार को निफ्टी में आई गिरावट के कारण निवेशकों का एक वर्ग मुनाफा बुक नहीं कर सका। यह सवाल अब अहम हो गया है कि क्या यह गिरावट किसी बड़े करेक्शन का संकेत है या फिर यह सिर्फ अस्थायी प्रॉफिट बुकिंग का दौर है।
आर्थिक आंकड़ों पर टिकी अगली चाल
नए ट्रेडिंग सप्ताह में बाजार की दिशा काफी हद तक घरेलू आर्थिक आंकड़ों पर निर्भर करेगी। दिसंबर की वाहन बिक्री के आंकड़े, नवंबर का औद्योगिक उत्पादन (IIP) और मैन्युफैक्चरिंग पीएमआई जैसे संकेतक यह तय करेंगे कि मांग और औद्योगिक गतिविधियों की स्थिति कैसी है। यदि ये आंकड़े बाजार के अनुमान से बेहतर रहते हैं, तो सेंसेक्स और निफ्टी को सपोर्ट मिल सकता है। कमजोर आंकड़े बाजार पर दबाव बढ़ा सकते हैं।
अमेरिकी फेड और वैश्विक संकेतों की भूमिका
घरेलू कारकों के साथ-साथ वैश्विक संकेत भी इस सप्ताह बेहद महत्वपूर्ण रहेंगे। अमेरिकी फेडरल रिज़र्व की निगरानी रिपोर्ट और बैलेंस शीट अपडेट से वैश्विक लिक्विडिटी और ब्याज दरों को लेकर निवेशकों की धारणा प्रभावित हो सकती है। इसका सीधा असर उभरते बाजारों, खासकर भारतीय शेयर बाजार पर पड़ता है।
पिछले सप्ताह वैश्विक बाजारों में मिला-जुला रुख देखने को मिला। अमेरिका के प्रमुख सूचकांक कमजोरी के साथ बंद हुए, जबकि यूरोप और जापान के बाजारों में मजबूती दिखी। यह संकेत देता है कि वैश्विक स्तर पर निवेशक फिलहाल स्पष्ट दिशा के अभाव में सतर्क रुख अपना रहे हैं।
एफआईआई बनाम डीआईआई: बाजार का संतुलन
साल की शुरुआत से ही विदेशी संस्थागत निवेशकों (FII) की बिकवाली जारी है और दिसंबर में भी इसमें कोई बदलाव नहीं दिखा। हालांकि, घरेलू संस्थागत निवेशकों (DII) की मजबूत खरीदारी ने बाजार को संभालकर रखा है। यही वजह है कि भारी विदेशी बिकवाली के बावजूद सेंसेक्स और निफ्टी अपने रिकॉर्ड उच्च स्तर से बहुत नीचे नहीं फिसले। यह ट्रेंड बताता है कि घरेलू निवेशकों का भरोसा अभी भी बाजार पर बना हुआ है, जो किसी बड़े करेक्शन की संभावना को फिलहाल सीमित करता है।
वॉल्यूम की कमी और प्रॉफिट बुकिंग का असर
पिछले सप्ताह उत्सवों और सांता वीक के कारण ट्रेडिंग वॉल्यूम सामान्य से कम रहा। कम वॉल्यूम में आई बिकवाली का असर सूचकांकों पर ज्यादा दिखा। इसके अलावा, हालिया तेजी के बाद निवेशकों के एक हिस्से ने लार्जकैप, मिडकैप और स्मॉलकैप शेयरों में मुनाफावसूली की जिससे ये सेगमेंट अंडरपरफॉर्म करते नजर आए।
सतर्कता जरूरी, घबराहट नहीं
हालांकि बाजार में अल्पकालिक दबाव साफ दिख रहा है, लेकिन यह भी सच है कि सेंसेक्स और निफ्टी अब भी अपने सर्वकालिक उच्च स्तर से करीब 1 प्रतिशत ही नीचे हैं। यह संकेत देता है कि मौजूदा गिरावट को व्यापक तौर पर कमजोरी नहीं, बल्कि कंसोलिडेशन और प्रॉफिट बुकिंग का दौर माना जा सकता है।
ऐसे माहौल में राकेश झुनझुनवाला की पुरानी सीख एक बार फिर प्रासंगिक हो जाती है-अनुचित मूल्यांकन पर निवेश से बचना चाहिए । निवेशकों के लिए यही बेहतर रणनीति होगी कि वे शॉर्ट टर्म उतार-चढ़ाव से प्रभावित होने के बजाय मजबूत फंडामेंटल और सही वैल्यूएशन वाले शेयरों पर फोकस बनाए रखें।