दक्षिण 24 परगना वन विभाग की पहल पर सुन्दवन में मैंग्रोव रोपण का काम शुरू कर दिया गया है। सुन्दरवन का मैंग्रोव दुनिया भर के सबसे विशाल जंगलों में से एक माना जाता है। यह पश्चिम बंगाल से लेकर पड़ोसी राष्ट्र बांग्लादेश तक फैला हुआ है। सुन्दरवन का मैंग्रोव जंगल देश का एकमात्र ऐसा नेशनल पार्क है जहां घूमने-फिरने का एकमात्र सहारा नाव ही है। पर क्यों सुन्दरवन का मैंग्रोव जंगल इतना महत्वपूर्ण माना जाता है? क्या है इसका काम?
शुरू हुआ मैंग्रोव रोपण का काम
मीडिया रिपोर्ट्स से मिली जानकारी के मुताबिक दक्षिण 24 परगना जिले के कुलतली के चितूड़ी बिट ऑफिस से सटे इलाकों में मैंग्रोव रोपने का काम शुरू हो चुका है। वन विभाग सूत्रों के हवाले से बताया जाता है कि वन विभाग के अधीन 265 हेक्टेयर जमीन पर मैंग्रोव रोपने का काम किया जा रहा है। यह काम फरवरी तक चलेगा।
बताया जाता है कि रायदीघी इलाके में 200 हेक्टेयर, रामगंगा में 50 हेक्टेयर और नामखाना में 15 हेक्टेयर भूमि पर मैंग्रोव रोपे जाएंगे। पूरा काम वन विभाग की निगरानी में किया जा रहा है।
पर इतना क्यों जरूरी है मैंग्रोव?
UNESCO के मुताबिक सुन्दरवन का मैंग्रोव जंगल दुनिया के सबसे विशाल जंगलों में से एक है। यह करीब 140,000 हेक्टेयर में फैला हुआ है। बंगाल की खाड़ी में गंगा, ब्रह्मपुत्र और मेघना नदियों के डेल्टा पर यह जंगल स्थित है। विशेषज्ञों का मानना है कि मैंग्रोव की वजह से मिट्टी का क्षय काफी हद तक रोका जा सकता है। सिर्फ इतना ही नहीं प्राकृतिक आपदाओं को रोकने में भी मैंग्रोव की अहम भूमिका होती है।
UNESCO के मुताबिक सुन्दरवन का मैंग्रोव इलाका कई तरह के जीव-जन्तुओं के लिए भी जाना जाता है जिनमें लगभग 260 प्रजातियों के पक्षी, रॉयल बंगाल टाइगर और अन्य कई ऐसी पशुओं की प्रजातियां जो आज विलुप्तप्राय हो चुकी हैं, उनका भी यह घर है। सुन्दरवन में प्रमुख रूप से भारतीय अजगर और मुहाने वाले मगरमच्छ पाए जाते हैं, जिनकी संख्या में तेजी से गिरावट आ रही है।
कुल मिलाकर कहा जा सकता है कि सुन्दरवन का मैंग्रोव सिर्फ नेशनल पार्क ही नहीं बल्कि यह बड़ी संख्या में वन्य पशुओं का आसरा और प्राकृतिक आपदाओं से रक्षा करने वाली एक दीवार है।