ओमान में फंसे मुर्शिदाबाद के 11 प्रवासी मजदूरों की गुहार पर मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने उठाया सार्थक कदम

उन्होंने बताया कि जिस कंपनी के माध्यम से वह लोग ओमान में बतौर सफाई कर्मी काम करने गए थे, उस कंपनी ने उनका वीजा-पासपोर्ट छीन लिया है और नौकरी से बर्खास्त कर दिया है।

By Moumita Bhattacharya

Oct 19, 2025 12:52 IST

लगभग 10 महीने पहले 'अल सुरुर नेशनल फॉर डेवलपमेंट' नामक एक कंपनी की स्पॉन्सरशिप पर वैध तरीके से मुर्शिदाबादा के 11 प्रवासी मजदूर ओमान गए थे। आरोप है कि वहां पहुंचने के बाद उनका पासपोर्ट छीन लिया गया। न तो समझौते के आधार पर उनको वेतन दिया जाता है और प्रतिदिन 8 घंटे के बजाए 15 से 22 घंटा तक काम करने के लिए मजबूर किया जाता है। आरोप है कि इसके लिए कोई अतिरिक्त मजदूरी भी नहीं दी जाती है।

आरोप है कि जब इस तरह के अमानवीय अत्याचार का उन्होंने विरोध किया तो उनको घर से निकाल तक दिया गया। प्रवासी मजदूरों ने ओमान से एक वीडियो संदेश भेजा जिसमें दावा किया गया कि वे फुटपाथ के किनारे भूखे-प्यासे किसी तरह से अपना दिन काटने को मजबूर हो रहे हैं। अब राज्य सरकार ने मुर्शिदाबाद के उन 11 प्रवासी मजदूरों को वापस अपने देश लाने की कवायद शुरू कर दी है।

सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार नवग्राम थाना इलाके के किरीटेश्वरी पंचायत इलाके में मुस्तफा शेख, केशावुर शेख, गुल्लू शेख, गोविंद मुर्मू, धीरेन बस्की, अशरफ शेख, खईरुल शेख, सुरीन मुर्मू, सुनील दास, सोम मुर्मू व छोटा मुर्मू समेत कुल 11 प्रवासी मजदूर ओमान में काम की तलाश में गए थे। बताया जाता है कि गत 11 सितंबर को उन्होंने एक वीडियो संदेश राज्य के प्रवासी मजदूर ऐकमंच के पास भेजा था। यहां उन्होंने बताया कि जिस कंपनी के माध्यम से वह लोग ओमान में बतौर सफाई कर्मी काम करने गए थे, उस कंपनी ने उनका वीजा-पासपोर्ट छीन लिया है और नौकरी से बर्खास्त कर दिया है।

इस वक्त वे ओमान में फंसे हुए हैं। वीडियो संदेश के जरिए उन्होंने भारत में वापस लौटने के लिए मदद की गुहार लगायी थी। मामले की जानकारी मिलते ही मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने इसमें हस्तक्षेप किया। सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार उन्होंने ओमान में भारतीय दूतावास से बात की है। इसके बाद ही उन सभी प्रवासी मजदूरों के रहने और खाने-पीने की व्यवस्था भारतीय दूतावास में की गयी है। शनिवार को तृणमूल कांग्रेस की मीडिया सेल ने इस बाबत सोशल मीडिया पर एक पोस्ट किया।

इस पोस्ट में तृणमूल की ओर से बताया गया कि उन मजदूरों की दुर्दशा के बारे में जानकारी मिलते ही हमारी मां-माटी-मानुष की सरकार ने तुरंत मामले में हस्तक्षेप किया। उनकी सुरक्षा को सुनिश्चित किया। राज्य सरकार की सक्रिय कोशिशों की वजह से अब ओमान में वे भारतीय दूतावास की हिफाजत में हैं। वहां उनके रहने और खाने-पीने की पूरी व्यवस्था की गयी है।

प्रवासी मजदूर ऐकमंच के राज्य सचिव आसीफ फारुख ने बताया कि गत 8 सितंबर को इस मामले में भारत के विदेश मंत्रालय और राज्य पुलिस प्रशासन को जानकारी दी गयी। 11 सितंबर को ओमान में भारतीय दूतावास की कम्यूनिटी वेलफेयर विंग्स के अधिकारी धानी राम को ई-मेल के जरिए इस बारे में जानकारी दी गयी। इसके बाद ऐकमंच के प्रतिनिधि तन्वीर इस्लाम ने गत 15 सितंबर को दिल्ली में ओमान के राजदूत कार्यालय और भारत के विदेश मंत्रालय के अधिकारियों के साथ मुलाकात कर वहां फंसे सभी मजदूरों की मदद करने और उन्हें भारत वापस लाने के मामले में कदम उठाने का अनुरोध किया।

प्रवासी मजदूर कल्याण परिषद के चेयरमैन व तृणमूल के राज्यसभा सांसद समिरुल इस्लाम का कहना है कि मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के आदेश पर राज्य सरकार की तरफ से ओमान में भारतीय दूतावास को ई-मेल किया गया। उसके आधार पर ही प्रवासी मजदूरों को भारतीय दूतावास में रखा गया है। सभी आधिकारिक कार्य सम्पन्न होते ही उन्हें घर वापस लौटाने में कोई समस्या नहीं होगी।

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