पाकिस्तान की न्यायव्यवस्था में 'गंभीर संकट', सुप्रीम कोर्ट के 2 न्यायाधीशों ने इस्तीफा दिया।

By तुहीना मंडल, Posted by: लखन भारती.

Nov 15, 2025 18:18 IST

पाकिस्तान की संसद में गुरुवार को '27वीं संविधान संशोधन विधेयक' को मंजूरी मिल गई। इसके परिणामस्वरूप एक तरफ उस देश के सेना प्रमुख और मजबूत हो गए हैं, वहीं सुप्रीम कोर्ट की शक्तियां सीमित हो गई हैं। अब तक उस देश की सरकार के आलोचक यह दावा कर रहे थे कि यह निर्णय पाकिस्तान के लोकतंत्र के लिए घातक है। अब और असहजता बढ़ाते हुए इस विधेयक की आलोचना करके पाकिस्तान सुप्रीम कोर्ट के दो न्यायाधीश मंसूर अली शाह और अथर मिनल्लाह ने इस्तीफा दे दिया है। उन्होंने अपने इस्तीफे पहले ही पाक राष्ट्रपति को भेज दिए हैं।

संविधान के '27वें संशोधन' के तहत सुप्रीम कोर्ट के ऊपर 'फेडरल कॉन्स्टिट्यूशन कोर्ट' (FCC) रहेगा। और इस कोर्ट में जो मुख्य न्यायाधीश होंगे, उन्हें पाकिस्तान के राष्ट्रपति नियुक्त करेंगे और उनका नाम पाकिस्तान के प्रधानमंत्री प्रस्तावित करेंगे। इस कोर्ट के अन्य न्यायाधीशों की नियुक्ति सरकार करेगी।

अपने पांच पृष्ठ के इस्तीफे में मंसूर अली शाह ने दावा किया कि संविधान में यह संशोधन संवैधानिक व्यवस्था पर हमला है, जिसने न्यायपालिका की स्वतंत्रता को पंगु बना दिया है और सुप्रीम कोर्ट की शक्तियों को कमजोर कर दिया है। उन्होंने कहा कि वह ऐसे किसी भी अदालत में काम नहीं कर सकते, जिसे संवैधानिक अधिकारों से वंचित किया गया हो या जिसे संवैधानिक भूमिका से दूर रखा गया हो। वहीं, मंसूर अली शाह ने लिखा, 'यह संशोधन पाकिस्तान के संविधान पर भयावह चोट है।'

उल्लेखनीय है कि इस संशोधन के परिणामस्वरूप विभिन्न प्रांतों की सरकारों के किसी भी आंतरिक मामले में सर्वोच्च सत्ता FCC के हाथ में होगी। अर्थात केवल आपराधिक और नागरिक मामलों के लिए ही सर्वोच्च अदालत पाकिस्तान की सुप्रीम कोर्ट होगी। FCC का निर्णय अन्य सभी अदालतों के लिए बाध्यकारी होगा। केवल इतना ही नहीं, 'मौलिक अधिकारों के प्रवर्तन से संबंधित मामले, संवैधानिक मामलों में उच्च न्यायालय की अपील, संवैधानिक मामलों में हाइकोर्ट की अपील से संबंधित मामले, धारा 199 के तहत रीट याचिका (परिवार और किराए से संबंधित मामलों को छोड़कर), सर्वोच्च न्यायालय से परामर्श लेने में राष्ट्रपति की शक्तियाँ भी सीधे FCC के हाथ में चली जाएंगी।

इतना ही नहीं, हाइकोर्ट के न्यायाधीशों के स्थानांतरण के मामले में अब उनका विचार नहीं लिया जाएगा। यदि कोई न्यायाधीश स्थानांतरण का विरोध करता है, तो उसे इस्तीफा देने के लिए कहा जाएगा। अब तक सरकार की सत्ता के एकाधिकार की प्रमुख 'सेंसर' सुप्रीम कोर्ट थी। इस बिल को पास करने से उसकी शक्ति कमजोर हो रही है, यह दावा पाकिस्तान के अंदर ही उठ चुका था। समग्र परिप्रेक्ष्य में पाक सुप्रीम कोर्ट के दो न्यायाधीशों का इस्तीफा उस देश की न्याय प्रणाली पर असर डाल रहा है।

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