किराये पर मिल रही पाकिस्तानी सेना, प्रति सैनिक 8.86 लाख रुपये — इज़रायल कितना देगा?

नैतिकता या मानवता नहीं, आर्थिक लाभ ही पाकिस्तानी सेना की प्राथमिकता?

By अमर्त्य लाहिड़ी, Posted by: श्वेता सिंह

Nov 07, 2025 23:24 IST

अब पाकिस्तान अपनी सेना को किराये पर देने की तैयारी में है। हर सैनिक के बदले 10,000 अमेरिकी डॉलर यानी लगभग 8.86 लाख रुपये की मांग की गई है। आरोप है कि गाज़ा में प्रस्तावित शांति रक्षक बल International Stabilization Force (ISF) में सैनिक भेजने के लिए पाकिस्तान ने यह रकम मांगी है। वरिष्ठ पाकिस्तानी पत्रकार आसमा शिराज़ी ने यह दावा किया है।

इजरायल कितना देगा?

आसमा शिराज़ी का कहना है कि पाकिस्तानी सेना प्रमुख जनरल आसिम मुनीर ने इज़रायल से हर सैनिक के लिए 10,000 डॉलर की मांग की थी। अगर यह आरोप सही है, तो 20,000 सैनिकों को भेजने के बदले पाकिस्तान ने कुल 200 मिलियन डॉलर (करीब 1,772 करोड़ रुपये) मांगे हैं।

हालांकि, रिपोर्ट के मुताबिक इज़रायल ने केवल 100 डॉलर (8,860 रुपये) प्रति सैनिक देने का प्रस्ताव दिया है। इस बात को लेकर पाकिस्तानी सेना अब विवादों के घेरे में है।

किराये की सेना?

इस्लामाबाद खुद को हमेशा “मुस्लिम दुनिया का रक्षक” बताता रहा है। लेकिन गाज़ा में शांति स्थापित करने के नाम पर जब वही सेना मोटी रकम की मांग करने लगे, तो सवाल उठना लाजिमी है। आलोचकों का कहना है कि पाकिस्तान की सेना के लिए नैतिकता या मानवता नहीं, बल्कि पैसा ही सर्वोपरि है।

यहां तक कि कुछ लोगों ने तंज कसा — “अगर अच्छी रकम मिले तो पाकिस्तान शायद भारत को भी अपनी सेना किराये पर दे दे।”

ISF का उद्देश्य क्या है?

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की 20-सूत्रीय गाज़ा शांति योजना का एक अहम हिस्सा है — एक अस्थायी बहुराष्ट्रीय स्थिरीकरण बल यानी ISF की स्थापना। ट्रंप के अनुसार, यह बल फिलिस्तीनी पुलिस को प्रशिक्षण देगा और उसके पुनर्गठन में मदद करेगा।

एकजुटता नहीं, फायदा ज़्यादा

पिछले साल पाकिस्तानी रक्षा मंत्री ख़्वाजा आसिफ ने कहा था कि अगर गाज़ा में सेना भेजने का मौका मिले तो इस्लामाबाद “गर्व महसूस करेगा”। लेकिन अब सेना के इस आर्थिक सौदेबाजी वाले रवैये ने साबित कर दिया है कि ये बयान महज दिखावे के थे। फिलिस्तीन के प्रति एकजुटता जताने की बजाय आर्थिक लाभ को प्राथमिकता दी जा रही है।

पाकिस्तान का पुराना इतिहास

यह पहला मौका नहीं है जब पाकिस्तान पर अपनी सेना को किराये पर देने का आरोप लगा हो। इससे पहले भी सऊदी अरब से लेकर क़तर तक कई देशों में, पैसे, तेल या राजनीतिक फायदे के बदले सैनिक भेजने की शिकायतें उठ चुकी हैं। इससे एक बार फिर सवाल खड़ा हुआ है — क्या पाकिस्तान की विदेश नीति सिर्फ़ लाभ और सौदेबाज़ी पर आधारित है?

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