बंगाल में SIR का काम कैसा चल रहा है? स्पेशल ऑब्ज़र्वर ने कहा, ‘ड्राफ़्ट लिस्ट पब्लिश होने के बाद ही…’

BLO को डिजिटाइजेशन के दौरान बार-बार फॉर्म चेक करने के निर्देश दिए गए हैं।

By देवदीप चक्रवर्ती, Posted by: श्वेता सिंह

Dec 04, 2025 01:15 IST

चुनाव आयोग ने राज्य में SIR के काम की जांच के लिए पूर्व ब्यूरोक्रेट सुब्रत गुप्ता को स्पेशल रोल ऑब्ज़र्वर नियुक्त किया है। उन्होंने बुधवार को पूर्वी बर्दवान ज़िले में एडमिनिस्ट्रेशन के अधिकारियों के साथ मीटिंग की। राज्य में SIR का काम कितना संतोषजनक है? सुब्रत गुप्ता ने कहा, ‘ड्राफ़्ट लिस्ट पब्लिश होने के बाद ही हम समझ पाएंगे कि काम कितना सही हुआ है।’ उस दिन मीटिंग में पूर्वी बर्दवान जिले के सभी ERO और AERO मौजूद थे। मीटिंग में बताया गया कि फॉर्म के डिजिटाइजेशन का काम तेजी से हो, इस बात का ध्यान रखा जाए। इसके अलावा हर ERO, BLO सुपरवाइज़र और BLO को डिजिटाइजेशन के दौरान बार-बार फॉर्म चेक करने के निर्देश दिए गए हैं।

विपक्ष का आरोप है कि कई जगहों पर रूलिंग पार्टी के प्रतिनिधि BLO को प्रभावित कर रहे हैं। कई जगहों पर आरोप है कि रूलिंग पार्टी के करीबी लोग फॉर्म को डिजिटाइज़ करने का काम कर रहे हैं। सुब्रत ने कहा, ‘मैंने हर पॉलिटिकल पार्टी के बयान सुने हैं। हमें अलग-अलग लोगों से फीडबैक भी मिल रहा है। सबकी राय को अहमियत दी जा रही है। अगर किसी पॉलिटिकल पार्टी को लगता है कि ड्राफ्ट लिस्ट सही नहीं है, तो उनके पास उन सभी को रिव्यू करने का मौका है।’

हर जिले में ‘अनकलेक्टेबल फॉर्म’ की संख्या हर दिन बढ़ रही है। यानी गिनती के फॉर्म बांटे जाने के बाद भी वे वापस नहीं किए गए हैं। ऐसा क्यों है? सुब्रत ने कहा, ‘कई मामलों में सॉफ्टवेयर की वजह से डिजिटाइज़ करना मुश्किल है। इसके अलावा, हमने देखा है कि फॉर्म बांटे गए हैं लेकिन कई लोग बाद में करने की सोचकर फॉर्म जमा नहीं कर रहे हैं। इसीलिए कुछ फॉर्म बिना कलेक्ट किए रह गए हैं।’ उनका मानना ​​है कि अगले कुछ दिनों में डिजिटाइज़ेशन का काम काफी हद तक पूरा हो जाएगा।

उत्तर दिनाजपुर के इंचार्ज ऑब्जर्वर अश्विनी कुमार यादव ने बुधवार को दक्षिण दिनाजपुर जिले के बालुरघाट सर्किट हाउस में एडमिनिस्ट्रेटिव अधिकारियों और पॉलिटिकल पार्टी के सदस्यों के साथ मीटिंग की। जिला प्रशासन के सूत्रों के मुताबिक, इस जिले में अभी तक 12,000 एन्यूमरेशन फॉर्म का डिजिटाइजेशन पूरा नहीं हुआ है। जो डेटा पहले ही मिल चुका है, उसमें 41,970 मरे हुए वोटरों के नाम पता चले हैं। जिन वोटरों का परमानेंट पता नहीं है, उनकी संख्या 8,994 है। जो वोटर दूसरे राज्यों में हैं या जिन्होंने अपना परमानेंट घर बदल लिया है, उनकी संख्या 21,512 है। इसके अलावा, 1,230 डुप्लीकेट नाम हैं।

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