सर्दियों का मौसम शुरू होते ही देशभर के अधिकांश एयरपोर्ट एक ही तरह की प्राकृतिक समस्या से गुजरते हैं और वह है कोहरा। सर्दियों के मौसम में कोहरे की वजह से दृश्यता कम हो जाती है, जिसकी वजह से उड़ानों को रिशेड्यूल और लैंडिंग को टालना तक पड़ जाता है। यहीं समस्या बारिश के मौसम में भी होती है। लेकिन अब यह बीते दिनों की बात होने वाली है। कोहरा चाहे कितना भी घना क्यों न हो या तेज बारिश की वजह से दृश्यता कितनी भी कम हो गयी हो, कोलकाता एयरपोर्ट की उड़ान सेवाओं पर इसका कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा। क्यों? आइए इस बारे में विस्तार से जान लेते हैं -
लगाया जा रहा है अत्याधुनिक सिस्टम
इन समस्याओं से मुकाबले के लिए और कोहरा या तेज बारिश के दौरान भी उड़ान सेवाओं को सामान्य बनाए रखने के लिए कोलकाता के नेताजी सुभाष चंद्र बोस अंतर्राष्ट्रीय (NSCBI) एयरपोर्ट पर अत्याधुनिक तकनीक का इस्तेमाल किया जाएगा। मीडिया रिपोर्ट्स से मिली जानकारी के अनुसार कोलकाता एयरपोर्ट के प्राथमिक रनवे के दोनों सिरों पर Category-III-B लैंडिंग सिस्टम (ILS) को लगाया जा रहा है। Indian Express की मीडिया रिपोर्ट के अनुसार यह सिस्टम 27 नवंबर से चालू हो जाने वाला है।
कैसे करेगी काम?
इस बारे में कोलकाता एयरपोर्ट के निदेशक विक्रम सिंह ने बताया कि पहले रनवे के न्यू टाउन वाले सिरे (01R) पर ही Category-III-B लैंडिंग सिस्टम लगा हुआ था, जो उड़ानों को घने कोहरे में 50 मीटर जैसी कम दृश्यता में भी लैंड करने में मदद करता था। लेकिन अब सिस्टम को रनवे के मध्यमग्राम वाले सिरे (19L) पर भी लगाया जा रहा है जहां पहले कम क्षमता वाला सिस्टम Category-II-B लगा हुआ था।
एयरपोर्ट प्रबंधन के उच्चाधिकारियों के हवाले से बताया गया है कि उड़ानों के ट्रैफिक बहाव में जब अस्थिरता आती है, जैसे उत्तर से कई उड़ानों का आना और उसके बाद ही दक्षिण से भी कुछ उड़ानों के आने पर ATC (एयर ट्रैफिक कंट्रोल) रन के सिरों को बदल सकती है। यानी जरूरत और कोहरे के घनत्व के आधार पर मध्यमग्राम या राजारहाट/न्यू टाउन सिरा को एक्टिव कर सकती है, जिससे विमानों को रनवे पर ज्यादा लंबी दूरी तय नहीं करनी पड़ेगी और इससे आने वाली उड़ानों का ईंधन भी बचेगा।
पायलट का विशेष प्रशिक्षण अनिवार्य
ILS एक ऐसा सिस्टम है, जो उड़ान को सुरक्षित रूप से लैंड करने के लिए गाइड करती है। यह पायलट को रनवे देखने में विशेष सुविधा मुहैया करवाकर सुरक्षा की एक अतिरिक्त परत जोड़ती है। एयरपोर्ट प्रबंधन के अधिकारियों ने बताया कि इस सिस्टम में अलग-अलग श्रेणियां होती है, जो फ्लाइट क्रु को खराब दृश्यता में भी लैंडिंग में मदद करती है।
CAT- III की सिस्टम उड़ान को लगभग शून्य दृश्यता में भी सुरक्षित तरीके से लैंड करने में मदद करती है। हालांकि यह भी बताया गया है कि इस सिस्टम की मदद से कम दृश्यता में उड़ानों को लैंड करवाने के लिए पायलट को विशेष रूप से प्रशिक्षित करना अनिवार्य है। अगर ऐसा नहीं हुआ तो ATC विमान को तुरंत डायवर्ट या लैंडिंग को रद्द कर सकती है।
बता दें, उड़ानों को मैनुअली लैंड करने के लिए 550 मीटर तक स्पष्ट दृश्यता का होना अनिवार्य है। इस बारे में एक वरिष्ठ पायलट का कहना है कि CAT- III सिस्टम एयरपोर्ट को विमानों की आवाजाही को बेहतर बनाने में जरूर मददगार साबित होगा।
एयरपोर्ट सूत्रों से प्राप्त जानकारी के अनुसार 2 फरवरी 2025 को कोलकाता एयरपोर्ट पर कोहरे और कम दृश्यता की वजह से 13 विमान लैंड करने और उड़ान भरने में देर हुई थी। उससे पहले 23 से 25 जनवरी तक, लगातार 3 दिनों तक भी विमान सेवाओं पर घने कोहरे का प्रभाव पड़ा था। बताया जाता है कि 23 जनवरी को 72 उड़ान, 24 जनवरी को 34 फ्लाइट और 25 जनवरी को 53 फ्लाइट पर कम दृश्यता होने का प्रभाव पड़ा था।