POK यानी 'पाक अधिकृत कश्मीर' ही नहीं बल्कि पाकिस्तान का सिंध प्रदेश भी बन सकता है भारत का हिस्सा। रविवार को दिल्ली में आयोजित एक कार्यक्रम के दौरान रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने जो कुछ कहा, वह पाकिस्तान की नींदे उड़ा देने के लिए काफी है। राजनाथ सिंह ने इस कार्यक्रम के दौरान पाकिस्तान का मानचित्र ही बदल देने का इशारा किया। उन्होंने कहा, 'सिंध प्रदेश आज भले ही भारत का हिस्सा न हो लेकिन सीमा परिवर्तन तो हो सकता है और यह अंचल भी भारत के अधीन आ सकता है।'
दक्षिण-पूर्व पाकिस्तान में मौजूद सिंध प्रदेश के पश्चिम व उत्तर में है बलुचिस्तान, उत्तर-पूर्व में है पंजाब (पाकिस्तान), पूर्व में है भारत का राजस्थान और गुजरात व दक्षिण में है अरब सागर। सिंध प्रदेश मुख्य रूप से सिंधु नदी के द्वीप का ही एक हिस्सा है। इस प्रांत का नाम सिंधु नदी के नाम पर ही सिंध प्रदेश रखा गया था। इसकी राजधानी कराची है। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने दावा किया कि पाकिस्तान का यह प्रदेश भविष्य में भारत की सीमा के अंदर भी आ सकता है।
राजनाथ सिंह ने क्यों कहा ऐसा?
राजनाथ सिंह ने कहा, 'सिंधी हिंदू, खासतौर पर लालकृष्ण आडवाणी जैसे नेताओं की पीढ़ियों के समय से ही भारत से सिंध प्रांत का अलग होना कभी स्वीकार नहीं कर पाए थे।' बता दें, भारत की आजादी के समय यह पाकिस्तान का हिस्सा बन गया था। राजनाथ सिंह ने आडवाणी की एक बात का हवाला देते हुए कहा, 'आडवाणीजी ने कहा था, सिर्फ सिंध प्रदेश ही नहीं पूरे भारत के हिंदू भी सिंधु नदी को पवित्र मानते हैं। कई मुसलमान भी विश्वास करते हैं कि सिंधु नदी का पानी मक्का के ज़मज़म से कम पवित्र नहीं है।'
POK अधिग्रहण को लेकर अक्सर केंद्र की भाजपा सरकार अपने तल्ख तेवर दिखाती रही है। लोकसभा अधिवेशन के दौरान गृह मंत्री ने भी POK को वापस लाने की बात छेड़ी थी। लेकिन सिंध प्रदेश को भी भारत में शामिल करने की रक्षा मंत्री के बयान को जानकार काफी महत्वपूर्ण करार दे रहे हैं।
गौरतलब है कि इस साल अक्तूबर में ही पाक अधिकृत कश्मीर में जनता का विरोध भड़क उठा था। आम नागरिकों पर पाकिस्तानी सेना के अत्याचार और उनके मौलिक अधिकारों का हनन करने का आरोप लगाते हुए आम जनता ने विरोध-प्रदर्शन किया। इस आंदोलन में 8 नागरिकों की मौत हो गयी थी। वहीं इस साल के शुरुआत में भी सिंध प्रदेश में भी सरकार विरोधी आंदोलन हुआ था। सिंधु नदी पर नई नहर निर्माण के विरोध में आम लोगों ने विरोध किया था। आंदोलनकारियों का आरोप था कि अगर यह निर्माण होता है तो मुख्य रूप से पंजाब के जमींदार और कॉर्पोरेट को ही फायदा मिलेगा।