पिछले सप्ताह ही मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार को पत्र लिखकर आरोप लगाया था कि राज्य में SIR का काम बिना किसी योजना के किया जा रहा है। उस पत्र में ममता बनर्जी ने उनसे पश्चिम बंगाल में SIR की प्रक्रिया को तुरंत रोक देने का अनुरोध किया था। सोमवार को मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने फिर से चुनाव आयोग को पत्र लिखा है। इस पत्र में उन्होंने SIR से जुड़े कई और मुद्दों को बारे में बात की है।
चुनाव आयोग 4 दिसंबर तक SIR का पहला चरण पूरा करना चाहता है। लेकिन BLO के समूह का आरोप है कि तय तारीख में काम पूरा करने की समयसीमा बांध देने की वजह से उन पर मानसिक दबाव पड़ रहा है। विशेष रूप से डाटा एंट्री के काम में कई तरह की शिकायतें आ रही हैं।
ऐसे में राज्य के मुख्य चुनाव अधिकारी के ऑफिस में एक साल के समझौते पर 1000 डाटा एंट्री ऑपरेटर और 50 सॉफ्टवेयर डेवलपर की नियुक्ति का प्रस्ताव दिया गया है। इस मामले को लेकर मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने सवाल उठाए हैं। उनका दावा है कि राज्य के जिला निर्वाचन अधिकारी (DEO) के अधीन समझौते पर जब डाटा एंट्री ऑपरेटर और बांग्ला सहायक केंद्र के कर्मचारी हैं, तो नई नियुक्तियां करने की क्या जरूरत है?
ममता बनर्जी ने अपने पत्र में लिखा है, 'जहां जिला अधिकारियों के अधीन पहले से ही प्रशिक्षित कर्मचारी मौजूद हैं, तो CEO ऑफिस उसी काम को एक साल के लिए किसी बाहरी एजेंसी को आउटसोर्स क्यों करने की बात कर रहा है?' उन्होंने कहा कि परंपरा के मुताबिक फील्ड अधिकारी अपने अधीन समझौते पर डाटा एंट्री ऑपरेटर्स रखते हैं।
DEO ऑफिस के पास आपातकाल में जरूरत होने पर ऐसी नियुक्तियां करने का अधिकार है। ममता बनर्जी का सवाल है कि CEO ऑफिस फील्ड अधिकारियों का काम अपने कंधों पर क्यों ले रहा है? मौजूदा स्टाफ के काम करने के हालात या करार के आधार पर प्रस्तावित एजेंसी के कर्मचारियों से क्या फर्क पड़ेगा? क्या यह किसी खास राजनीतिक पार्टी षड्यंत्रों का नतीजा है?
इसके साथ ही मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने मतदान केंद्र बनाने पर आयोग के नए फैसले की भी कड़ी आलोचना की है। आने वाले विधानसभा चुनाव से पहले राज्य में बूथों के रीअरेंजमेंट के बाद कुल बूथों की संख्या बढ़ने वाली है। आयोग के सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक मतदान केंद्रों या बूथों की संख्या में करीब 14 हजार की बढ़ोतरी हो सकती है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि बूथों की संख्या बढ़ने की वजह से DEO से इस पर अपनी राय देने को कहा गया है कि निजी आवासीय कॉम्प्लेक्स में बूथ बनाए जा सकते हैं या नहीं। ऐसा प्रस्ताव बहुत परेशानी वाला होगा। पोलिंग स्टेशन आमतौर पर सरकारी या सेमी-गवर्नमेंट संस्थानों में होते हैं। वोटरों की सुविधा के लिए पोलिंग स्टेशन 2 किमी के दायरे में बनाए जाते हैं। निजी इमारतों में ऐसा नहीं किया जाता ताकि स्वच्छता के साथ चुनाव हो सकें। आवासीय कॉम्प्लेक्स के निवासी और दूसरे स्थानीय वोटरों के बीच भेदभाव न हो। तो फिर यह फैसला क्यों लिया जा रहा है?
चुनाव आयोग पर हमला बोलते हुए ममता बनर्जी ने कहा कि क्या यह फैसला भी किसी खास राजनीतिक पार्टी के दबाव में लिया जा रहा है? क्यों? क्यों? क्यों? ऐसे फैसले से चुनाव प्रक्रिया की पारदर्शिता बाधित होगी। मुख्यमंत्री ने आयोग को लिखे पत्र में दो मुद्दों पर जल्द ही उचित फैसला लेने की अपील की है।