पश्चिम बंगाल में SIR कार्य की प्रगति को लेकर सोमवार शाम राज्य के मुख्य चुनाव अधिकारी कार्यालय ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस की। एक तरफ मतदाताओं की विभिन्न आशंकाएं और दूसरी तरफ BLO की अलग-अलग चिंताएं-इन सभी प्रश्नों का उत्तर राज्य के मुख्य चुनाव अधिकारी मनोज अग्रवाल ने दिया।
फॉर्म वितरण और डिजिटाइजेशन को लेकर आयोग ने क्या जानकारी दी?
कमीशन ने बताया कि सोमवार शाम तक राज्य में कुल 7.65 करोड़ फॉर्म BLO द्वारा वितरित किए जा चुके हैं। इसका मतलब है कुल 99.76 प्रतिशत फॉर्म का वितरण हो चुका है। इनमें से 4.55 करोड़ फॉर्म डिजिटाइज्ड किए जा चुके हैं यानी मतदाताओं द्वारा जमा किए गए फॉर्म की जानकारी आयोग की वेबसाइट पर अपलोड करने का कार्य पूरा हो चुका है। 59.4 प्रतिशत काम हो चुका है यानी डिजिटाइजेशन कार्य का आधे से अधिक हिस्सा पूरा हो चुका है।
अनकलेक्टेबल फॉर्म का अर्थ है-मृत मतदाता, डुप्लिकेट मतदाता (जिनका नाम एक से अधिक स्थान पर है),स्थायी रूप से स्थानांतरित मतदाता तथा ‘अनट्रेसेबल’ मतदाता यानी जिन्हें ढूंढा नहीं जा सका या जिनके भरे हुए फॉर्म जमा नहीं हुए। ऐसी स्थिति में 9 दिसंबर को जो ड्राफ्ट सूची प्रकाशित होगी, उसमें 10.33 लाख मतदाताओं के नाम हट सकते हैं। हालांकि आयोग ने कहा है कि यह संख्या कम या ज्यादा हो सकती है।
BLO को लेकर क्या संदेश दिया गया?
कमीशन ने सोमवार को बताया कि BLO बहुत मेहनत से काम कर रहे हैं। पिछले 20 दिनों से वे SIR का कार्य अत्यधिक परिश्रम से कर रहे हैं। SIR का काम करते समय कई BLO अस्वस्थ भी हुए हैं। ऐसी स्थिति में संबंधित DEO और ERO को सूचित कर वे काम से अवकाश का अनुरोध कर सकते हैं। इसके लिए मुख्य चुनाव अधिकारी कार्यालय की कोई अनुमति आवश्यक नहीं है। ERO किसी क्षेत्र में BLO बदल सकते हैं लेकिन इसके लिए DEO की अनुमति आवश्यक होगी।
क्या काम पूरा न होने पर BLO को दंड दिया जा सकता है?
मुख्य चुनाव अधिकारी ने कहा- “किसी को दंड देने की कोई बात नहीं है। जो लोग अनैतिक तरीके से कोई काम नहीं कर रहे, उन्हें डरने की कोई आवश्यकता नहीं है। न दंड दिया गया है, न दिया जाएगा। हम कोई एक्शन लेना नहीं चाहते। लेकिन उन्हें भी नियमों का पालन करना होगा। यदि कोई BLO नियमों के अनुसार काम नहीं करता है तो DRO और ERO आवश्यक निर्देश देंगे।”
मतुआ समुदाय को क्या आशंकित होना चाहिए?
मुख्य चुनाव अधिकारी ने बताया कि 2002 की मतदाता सूची में जिनका नाम है, उनके लिए आवेदन भरने और मतदाता सूची में नाम जोड़ने में कोई बाधा नहीं है। जिनका नाम 2002 की सूची में नहीं है और यदि उनका नाम ड्राफ्ट सूची में नहीं आता है तो ऐसे मतदाताओं को सुनवाई का अवसर मिलेगा। सुनवाई के दौरान आयोग द्वारा निर्धारित 11 दस्तावेजों में से किसी एक दस्तावेज को दिखाकर वे मतदाता सूची में अपना नाम शामिल करा सकते हैं।
मुख्यमंत्री के आरोपों को लेकर आयोग ने क्या कहा?
सोमवार को मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने देश के मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश भारती को एक पत्र लिखा। उसमें उन्होंने दो मुद्दों पर शिकायत उठाई थी। इसी विषय पर इस दिन प्रेस कॉन्फ्रेंस में प्रश्न पूछा गया। मुख्यमंत्री का आरोप था कि जिला स्तर के चुनाव कार्यालयों में पहले से कर्मचारी मौजूद हैं। ऐसे में पूरे वर्ष के लिए बाहर से लोगों की नियुक्ति की आवश्यकता क्या थी?
मुख्य चुनाव अधिकारी ने जवाब दिया कि आयोग के निर्देशानुसार डेटा एंट्री ऑपरेटर की नियुक्ति प्रक्रिया चल रही है। बिहार की तरह पश्चिम बंगाल में भी इस नियुक्ति के लिए टेंडर जारी किया गया था।
आगामी विधानसभा चुनाव से पहले राज्य में बूथों की संख्या बढ़ेगी
राज्य में बूथों की संख्या बढ़ रही है। सरकारी स्कूलों के अलावा विभिन्न आवास परिसरों में भी बूथ स्थापित करने की योजना है। इसी बात पर मुख्यमंत्री ने आपत्ति जताई थी। कमीशन ने स्पष्ट किया कि यह निर्णय पूरी तरह राष्ट्रीय चुनाव आयोग का है। राज्य के मुख्य चुनाव अधिकारी का इस मामले में कोई अधिकार या भूमिका नहीं है।