पिछले कई सालों की तरह ही इस साल भी सर्दियों का मौसम शुरू होते ही राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में हवा की गुणवत्ता (AQI) चिंता का कारण बनी हुई है। ऐसे में आपके मन में यह जिज्ञासा जरूर पैदा हो सकती है कि देश के दूसरे महानगरों में हवा की गुणवत्ता कैसी है? हाल ही में 'क्लाइमेट ट्रेंड्स' (Climate Trends) की ओर से इस बारे में समीक्षा की गयी थी।
रिपोर्ट में इस बात का खुलासा हुआ है कि देश के दूसरे कई शहरों की तरह ही कोलकाता में भी हवा की गुणवत्ता 'असुरक्षित' है। पर क्यों कहा गया ऐसा? क्या दिल्ली के मुकाबले कोलकाता का AQI ज्यादा खराब है?
10 सालों के तथ्यों की समीक्षा
क्लाइमेट ट्रेंड्स की रिपोर्ट से मिली जानकारी के मुताबिक कोलकाता में पूरे साल ही AQI 'मध्यम' गुणवत्ता का रहता है। लेकिन दिल्ली की तरह ही कोलकाता में भी सर्दियों के मौसम में प्रदूषण की मात्रा बढ़ने लगती है। खास तौर पर दक्षिण कोलकाता में प्रदूषण ज्यादा होने की जानकारी मिली है। बताया जाता है कि क्लाइमेट ट्रेंड्स ने अपना रिपोर्ट सेंट्रल पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड से मिली जानकारियों के आधार पर तैयार किया है। इस रिपोर्ट में साल 2015 से 2025 के बीच यानी 10 सालों के तथ्यों की समीक्षा की गयी है।
कैसा है कोलकाता का AQI?
रिपोर्ट में बताया गया है कि कोलकाता की हवा में प्रदूषण की मात्रा भले ही बढ़ती हो लेकिन दिल्ली अथवा लखनऊ के मुकाबले यहां की हवा कम प्रदूषित होती है। अधिकांश समय कोलकाता का AQI 80 से 140 के बीच ही रहता है, जिसे हवा की मध्यम गुणवत्ता मानी जाती है। रिपोर्ट में दावा किया गया है कि साल 2022 से कोलकाता में हवा की गुणवत्ता बेहतर हो रही है, लेकिन सर्दियों के मौसम में गुणवत्ता में काफी गिरावट आ जाती है। खासकर दक्षिण कोलकाता के जादवपुर, बालीगंज इलाकों की हवा ज्यादा प्रदूषित होती है।
कोलकाता में क्यों बढ़ता है प्रदूषण?
पर्यावरणविदों का मानना है कि सर्दियों के मौसम में धूल, गाड़ियों का धुआं और तपसिया-टेंगरा व हावड़ा जैसे शिल्पांचल से निकलने वाले प्रदूषण की वजह से ही मुख्य रूप से हवा की गुणवत्ता में गिरावट आती है। हालांकि यह भी बताया जाता है कि पिछले कुछ सालों से ईंधन की बेहतर गुणवत्ता, धुआं नियंत्रण और इलेक्ट्रिक वाहनों के ज्यादा इस्तेमाल की वजह से प्रदूषण की मात्रा में कमी दर्ज हुई है।
भले ही सालभर कोलकाता का AQI 80 से 140 के बीच रहता है लेकिन सर्दियों के मौसम में हवा में धूलकणों का घनत्व बढ़ जाने की वजह से ही कोलकाता में हवा की गुणवत्ता 'खराब' होने लगती है।
क्या है समाधान?
पर्यावरणविदों का मानना है कि तापमान में गिरावट के साथ ही हवा में इवर्सन लेयर बढ़ने लगती है। यह एक ऐसी परत है जो हवा और सूर्य की किरणों को आरपार जाकर वायु को साफ नहीं होने देती है। क्लाइमेट ट्रेंड्स के शोधकर्ता ने मीडिया से बातचीत में बताया कि अब समय आ गया है जब भारत में वायु प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए दीर्घमियादी, विज्ञान आधारित और कठोर फैसले लेने की जरूरत है। अगर ऐसा नहीं हुआ तो देश के किसी भी शहर का निवासी खुलकर सांस ही नहीं ले पाएगा।