मतदाताओं का नाम अलग है, एपिक (EPIC) नंबर भी अलग है लेकिन फोटो एक है! एन्यूमरेशन प्रक्रिया के दौरान कुछ ऐसे मतदाताओं का मामला भी चुनाव आयोग की नजरों में आया है। इस तरह फोटो से जुड़ी समस्याओं को दूर करने के लिए ही BLO ऐप में नया विकल्प जोड़ा गया है। इस विकल्प का नाम 'Similar Photo Elector Verification' है। क्या है इस नए विकल्प का काम?
चुनाव आयोग के पास मतदाताओं से जुड़ी जो जानकारियां आयी है, उसमें देखा जा रहा है कि एन्यूमरेशन फॉर्म भरते समय एक ही फोटो का इस्तेमाल कई मतदाताओं ने किया है। हालांकि चुनाव आयोग को लगता है कि किसी गड़बड़ी की वजह से ही एक मतदाता का फोटो दूसरे के फॉर्म पर छप गया है। इस गड़बड़ी को पकड़ने के लिए ही अब BLO ऐप में नया विकल्प जोड़ा गया है।
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डुप्लीकेट मतदाताओं को पकड़ने के लिए चुनाव आयोग ने पहले ही आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस (AI) का इस्तेमाल शुरू कर दिया है। इसकी मदद से फेस रिकॉग्निशन किया जा रहा था। अब और भी पक्के तौर पर डुप्लीकेट मतदाताओं का पता लगाने के लिए नया विकल्प जोड़ा गया है। ऐसा नहीं है कि सभी BLO को इस विकल्प का इस्तेमाल करना होगा। सूत्रों से प्राप्त जानकारी के अनुसार जिन इलाकों में ऐसे मामले सामने आएंगे वहां के BLO को चुनाव आयोग खुद ही इस बारे में सचेत करेगा।
वहां के BLO ही 'Similar Photo Elector Verification' विकल्प के माध्यम से डुप्लीकेट मतदाताओं के बारे में पता लगाएंगे। इसके साथ ही फेस वेरिफाई भी किया जाएगा।
मतदानकर्मी और BLO ऐक मंच के सचिव स्वपन मंडल ने कहा कि एन्यूमरेशन प्रक्रिया के खत्म होने के बाद भी इस तरह से नया विकल्प जोड़ना चुनाव आयोग की तैयारी में कमी के अलावा और कुछ नहीं है। नए विकल्प के बारे में उन्होंने कहा कि सीमावर्ती जिलों में ऐसी घटनाएं ज्यादा हुई होंगी। इसलिए यह नया विकल्प दिया गया होगा।