उत्तर प्रदेश के वाराणसी में सड़क चौड़ीकरण परियोजना के तहत ओलंपियन व पद्मश्री पुरस्कार से सम्मानित मोहम्मद शाहिद के तीन मंजिला पैतृक आवास पर बुलडोजर चला दिया गया है। सोशल मीडिया पर इसकी चर्चाएं तेज हो गयी हैं और यूजर्स प्रशासन की इस कार्रवाई को लेकर सवाल भी उठा रहे हैं।
वर्ष 1980 को मॉस्को में हुए ओलंपिक खेलों में भारत को स्वर्ण पदक दिलाने वाली टीम में मोहम्मद शाहिद शामिल थे। उन्हें भारत सरकार की ओर से पद्मश्री पुरस्कार से भी सम्मानित किया जा चुका है।
मिली जानकारी के अनुसार वाराणसी के कचहरी गोलघर इलाके में सड़क को लगभग 26 मीटर चौड़ी बनायी जा रही है। इस वजह से मोहम्मद शाहिद के अलावा और भी कुछ परिवारों के घरों पर बुलडोजर चलाया गया है। बताया जाता है कि प्रशासन ने ओलंपियन के घर का लगभग 10 फीट हिस्सा तोड़ डाला है। सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार लोकनिर्माण विभाग ने कुल 69 घरों को तोड़ने के लिए चिह्नित किया था, इनमें से 35 मकानों पर कार्रवाई की जा चुकी है।
दावा किया जा रहा है कि मोहम्मद शाहिद की पत्नी समेत कुछ अन्य को मुआवजा दिया जा चुका है। वहीं कुछ परिवारों के घरों में वैवाहिक कार्यक्रम होना है। इसलिए उन्हें कुछ दिनों की मोहलत दी गयी है। इस बारे में मीडिया से बात करते हुए एडीएम आलोक वर्मा ने कहा कि 71 लोगों को मुआवजा दिया जा चुका है।
जिन मकानों को तोड़ा गया, उनमें से ओलंपियन मोहम्मद शाहिद के परिवार से जुड़ा मकान भी शामिल है। उन्हें मुआवजा मिल चुका है। उन्होंने बताया कि इस पैतृक मकान में 9 लोगों का हिस्सा है, जिसमें से 6 लोगों ने मुआवजा ले लिया है और 3 लोगों का स्टे है। घर में वैवाहिक समारोह होने की वजह से उन्हें समय दिया गया है।
इधर मोहम्मद शाहिद के बड़े भाई रियाजुद्दीन की पत्नी नाजनीन ने मुआवजा कम मिलने का आरोप लगाया है। उनका कहना है कि अगर मुआवजे की राशि और बढ़ी होती तो बहुत मदद मिल जाती।
गौरतलब है कि मोहम्मद शाहिद वर्ष 1980 में स्वर्ण पदक जीतने वाली हॉकी टीम में शामिल थे। इसके साथ ही उनकी टीम ने 1982 में एशियन गेम्स में रजत पदक, 1986 में एशियाड खेलों में कांस्य पदक भी जीता था। 20 जुलाई 2016 को उनका निधन दिल्ली के मेदांता अस्पताल में इलाज के दौरान हो गया। उन्हें पद्मश्री और अर्जुन पुरस्कार से भी सम्मानित किया गया था।