लखनऊः राजस्थान और मध्य प्रदेश में बच्चों की जान लेने वाले कोल्ड्रिफ कफ सिरप पर अब उत्तर प्रदेश सरकार ने भी कड़ी कार्रवाई शुरू कर दी है। राज्य के खाद्य सुरक्षा एवं औषधि प्रशासन (एफएसडीए) ने स्रेसन फार्मास्युटिकल द्वारा निर्मित इस सिरप की बिक्री, वितरण और भंडारण पर रोक लगाते हुए सभी जिलों में सिरप के नमूने एकत्र कर जांच के लिए भेजने का निर्देश दिया है।
एफएसडीए के सहायक आयुक्त दिनेश कुमार तिवारी ने रविवार को प्रदेश के सभी औषधि निरीक्षकों को पत्र लिखकर दवा दुकानों और सरकारी अस्पतालों से इस सिरप के नमूने लेने और उसकी बिक्री तत्काल रोकने के निर्देश दिए। सभी नमूनों को एफएसडीए की लखनऊ स्थित प्रयोगशाला में परीक्षण के लिए भेजा जायेगा।
जानलेवा मिला SR-13 बैच, घातक रसायन की मिलावटः एफएसडीए के अनुसार, इस सिरप के बैच नंबर SR-13 (MFG: मई 2025, EXP: अप्रैल 2027) में डाइथिलीन ग्लाइकाल (DEG) की मिलावट पाई गई है, जो एक विषैला रसायन है। DEG की मिलावट से शरीर में गुर्दे फेल होने, तंत्रिका तंत्र को नुकसान पहुंचने और मृत्यु तक हो सकती है।
अस्पतालों को नई गाइडलाइन: राज्य के महानिदेशक चिकित्सा स्वास्थ्य डॉ. रतन पाल सिंह सुमन ने सभी अस्पतालों को कफ सिरप के उपयोग को लेकर नई गाइडलाइन जारी की है। 5 वर्ष से कम आयु के बच्चों को कफ सिरप न देने की सख्त सलाह दी गई है। इससे अधिक उम्र के बच्चों को भी न्यूनतम खुराक में और चिकित्सकीय निगरानी में सिरप देने का निर्देश है। एफएसडीए ने यूपी मेडिकल सप्लाई कॉरपोरेशन और दवा विक्रेताओं के संगठनों से भी इस विशेष बैच की बिक्री पर रोक लगाने व भंडारण की जानकारी साझा करने को कहा है। साथ ही प्रदेश की दवा निर्माण इकाइयों में बनाए जा रहे कफ सिरप और उसमें मिलाए जा रहे प्रोपाइलिन ग्लाइकाल के भी नमूने लेकर जांच के निर्देश दिए गए हैं।
कांड की जड़ें और केंद्रीय कार्रवाई : कोल्ड्रिफ कफ सिरप का मामला सबसे पहले मध्य प्रदेश के छिंदवाड़ा से सामने आया, जहां अब तक 11 बच्चों की मौत हो चुकी है। जांच में पाया गया कि इस सिरप में 48.6% डायएथिलीन ग्लाइकोल पाया गया, जो पूरी तरह घातक और अवैध है। डॉक्टर प्रवीण सोनी, जिन्होंने अधिकतर बच्चों को यह सिरप लिखा था, को गिरफ्तार कर लिया गया है। Sresan Pharmaceuticals नामक तमिलनाडु की कंपनी पर प्राथमिकी दर्ज हुई है। राजस्थान के भरतपुर, सीकर और जयपुर में तीन बच्चों की मौत की पुष्टि हुई है। वहां भी बच्चों को सरकारी अस्पतालों में वितरित की गई कफ सिरप दी गई थी।
केंद्र सरकार की राष्ट्रव्यापी कार्रवाईः केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन ने अब तक छह राज्यों -मध्य प्रदेश, राजस्थान, तमिलनाडु, महाराष्ट्र, गुजरात, हिमाचल प्रदेश में 19 दवाओं के सैंपल लिए हैं और विभिन्न औषधि फैक्ट्रियों का निरीक्षण शुरू कर दिया है। तमिलनाडु, जहां की फैक्ट्री से यह जहरीला सिरप निकला, वहां Coldrif के सभी बैचों की बिक्री पर रोक लगा दी गई है।
सिरप निर्माण में लागत बचाने की कोशिशः विशेषज्ञों के अनुसार, सिरप बनाने में आमतौर पर ग्लिसरीन, सॉर्बिटोल और प्रोपाइलिन ग्लाइकाल जैसे अवयव इस्तेमाल होते हैं, जो महंगे होते हैं। कई निर्माता लागत घटाने के लिए इनमें डाइथिलीन ग्लाइकाल मिला देते हैं, जो शरीर के लिए जहर साबित होता है। सिरप से हुई मासूमों की मौतें सिर्फ एक दवा की गलती नहीं, बल्कि विनियामक तंत्र की विफलता को उजागर करती हैं।