शास्त्रीय संगीत को आम जन में लोकप्रिय करने वाला सितारा टूट गया, नहीं रहे पं.छन्नूूलाल मिश्र

हिन्दुस्तानी संगीत के बनारस और किराना घराने के प्रसिद्ध गायक पंडित छन्नूलाल मिश्र ने लोकशैली को मान दिया जिसके जरिये शास्त्रीय संगीत को आम जनता तक पहुंचाया। उनकी कर्मभूमि बनारस रही और पं.मिश्र 2014 के लोकसभा चुनाव में नरेन्द्र मोदी के प्रस्तावक थे।

By डॉ.अभिज्ञात

Oct 02, 2025 17:23 IST

वाराणसीः शास्त्रीय संगीत के जाने माने गायक और पद्म विभूषण से सम्मानित पंडित छन्नूलाल मिश्र का गुरुवार तड़के उत्तर प्रदेश के मिर्जापुर में निधन हो गया। वे 91 वर्ष के थे और पिछले कुछ अरसे से बीमार चल रहे थे। उनका इलाज बनारस हिंदू विश्वविद्यालय के इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज में चल रहा था। जहां से छुट्टी मिलने के बादउनकी छोटी बेटी नम्रता मिश्र उन्हें मिर्जापुर स्थित अपने घर ले गयीं, जहां वे डॉक्टरों की निगरानी में थे।

शास्त्रीय संगीत को जन-जन तक पहुंचायाः हिन्दुस्तानी संगीत केबनारस और किराना घराने की गायकी के प्रतिनिधि मिश्र ने खयाल, पूर्वी ठुमरी, भजन, दादरा, कजरी, चैती आदि में विशिष्ट योगदान दिया और शास्त्रीय गायकी को जन-जन तक पहुंचाया। उन्हें लोकशैली की गायकी के लिए भी प्रसिद्धि मिली। भारतीय संगीत परंपरा को वैश्विक स्तर पर प्रतिष्ठा दिलाई।

प्रारंभिक जीवन व शिक्षाः उनका जन्म 3 अगस्त को आजमगढ़ जिले के हरिहरपुर गांव में 1936 में हुआ था। उनके दादा शांता प्रसाद ‘गुदई महाराज’ प्रसिद्ध तबला वादक थे। उनके पिता बद्रीनाथ मिश्र भी संगीतज्ञ थे, जिन्होंनेछह साल की उम्र में संगीत की शिक्षा देनी शुरू की। छन्नूलाल नौ साल के हुए तो खयाल की प्रारंभिक शिक्षा उस्ताद गनी अली से ली।फिर किराना घराने के उस्ताद अब्दुल गनी खान और ठाकुर जयदेव सिंह से संगीत सीखा। वे प्रसिद्ध तबला वादक पं.अनोखेलाल मिश्र के दामाद थे। छन्नूलाल की सांगीतिक शिक्षा मुजफ्फरपुर में शुरू हुई और चतुर्भुज स्थान में एक कोठरी में रह कर संगीत साधना करते थे लेकिन बनारस उनकी कर्मभूमि रही।

सम्मान और पुरस्कारः संगीत में उनके अनन्य योगदान के लिए उन्हें 2010 में पद्म भूषण और 2020 में पद्म विभूषण से सम्मानित किया गया। भारत सरकार ने उन्हें संगीत नाटक अकादमी फेलोशिप से भी सम्मानित किया। उन्हें संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार, नौशाद अवॉर्ड, संगीत शिरोमणि पुरस्कार आदि भी मिले।

फिल्म और रिकॉर्डिंग्सःउन्होंने प्रकाश झा की फिल्म ‘आरक्षण’ में ‘सांस अलबेली’ और ‘कौन सी डोर’ आदि गाने गाए। रामचरित मानस, कबीर भजन, चैती, कजरी और ठुमरी की उनकी रिकॉर्डिंग आम लोगों से लेकर संगीत मर्मज्ञों के बीच लोकप्रिय हैं।

व्यक्तिगत जीवनमें दुखःकोरोना काल में पत्नी माणिक रानी मिश्र और बेटी संगीता मिश्र को उन्होंने खो दिया। अंतिम वर्षों में स्वास्थ्य समस्याओं के बावजूद वे संगीत साधना में रमे रहे।

प्रधानमंत्री मोदी से सम्बंधः प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने सोशल मीडिया पर मिश्र जी की तस्वीर साझा करते हुए गहरा दुख व्यक्त किया है और उन्हें भारतीय कला और संस्कृति को समर्पित व्यक्ति बताया। पं.मिश्र2014 के लोकसभा चुनाव में मोदी के प्रस्तावक थे।

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