राज्य में पंचायत और शहरी निकाय चुनावों में लागू दो संतान की बाध्यता को हटाने पर भजनलाल शर्मा सरकार गंभीरता से विचार कर रही है। सूत्रों के अनुसार, इस नियम में संशोधन का प्रस्ताव जल्द ही कैबिनेट के सामने लाया जा सकता है। अगर प्रस्ताव को मंजूरी मिलती है तो राज्य के हजारों ऐसे उम्मीदवारों के लिए चुनावी दरवाजे खुल जाएंगे जो इस शर्त के कारण अब तक चुनाव लड़ने से वंचित रहे हैं।
स्वायत्त शासन विभाग के मंत्री झाबर सिंह खर्रा ने बताया कि सरकार दो संतान की शर्त में बदलाव को लेकर गंभीर है। उन्होंने कहा कि जब सरकारी कर्मचारियों को तीन संतान की छूट दी गई है तो जनप्रतिनिधियों के साथ भेदभाव क्यों किया जाए। इस विषय पर विभागीय स्तर पर परीक्षण कराया जा रहा है और शीघ्र ही रिपोर्ट मुख्यमंत्री कार्यालय को भेजी जाएगी।
वर्तमान में क्या है नियम
राजस्थान में वर्तमान में लागू नियम के तहत जिन व्यक्तियों की दो से अधिक संतानें हैं, वे पंचायत या शहरी निकाय चुनाव नहीं लड़ सकते। यह प्रावधान जनसंख्या नियंत्रण नीति के तहत वर्ष 1990 के दशक में लागू किया गया था। समय के साथ यह नियम कई बार विवादों में रहा है क्योंकि सरकारी कर्मचारियों को पहले ही इस नीति में आंशिक छूट दी जा चुकी है।
कैबिनेट में जाएगा प्रस्ताव
सूत्रों के अनुसार, पंचायती राज विभाग और स्वायत्त शासन विभाग से इस नियम के सामाजिक, प्रशासनिक और राजनीतिक प्रभावों पर अनौपचारिक रिपोर्ट मांगी गई है। रिपोर्ट तैयार होने के बाद इसे मुख्यमंत्री कार्यालय को भेजा जाएगा। यदि कैबिनेट में प्रस्ताव को स्वीकृति मिलती है तो यह फैसला राज्य की स्थानीय राजनीति में बड़ा बदलाव ला सकता है।
राजनीतिक मायने भी गहरे
राजनीतिक हलकों में इस कदम को भजनलाल शर्मा सरकार का बड़ा राजनीतिक दांव माना जा रहा है। भाजपा जहां शहरी निकायों में मजबूत स्थिति में है, वहीं ग्रामीण इलाकों में कांग्रेस का दबदबा पारंपरिक रूप से अधिक है। ऐसे में सरकार दो संतान की शर्त हटाकर ग्रामीण जनता का भरोसा जीतने और पार्टी के काबिल कार्यकर्ताओं को चुनावी अवसर देने की रणनीति पर काम कर रही है। भाजपा के कई संभावित प्रत्याशी अब तक इस नियम के कारण चुनाव नहीं लड़ पा रहे थे। ऐसे में यह बदलाव पार्टी संगठन के लिए भी राहत भरा साबित हो सकता है।
मुख्यमंत्री स्तर पर चर्चा
मंत्री झाबर सिंह खर्रा ने कहा है कि मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा से इस मुद्दे पर प्रारंभिक चर्चा हो चुकी है। मुख्यमंत्री का मत है कि सभी पक्षों से राय लेकर ही अंतिम निर्णय लिया जाए। फिलहाल विभागीय स्तर पर अध्ययन और कानूनी परीक्षण की प्रक्रिया जारी है।
संभावित असर
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि सरकार दो संतान की शर्त हटाने का निर्णय लेती है तो हजारों उम्मीदवारों को चुनाव लड़ने का मौका मिलेगा। साथ ही, पंचायत और निकाय स्तर पर प्रतिनिधित्व का दायरा बढ़ेगा। हालांकि, विपक्ष इस कदम को जनसंख्या नियंत्रण नीति के खिलाफ बताते हुए सरकार पर निशाना साध सकता है।
भजनलाल शर्मा सरकार का यह कदम न केवल राजनीतिक दृष्टि से अहम साबित हो सकता है, बल्कि यह राज्य की स्थानीय शासन व्यवस्था में व्यापक परिवर्तन भी ला सकता है। कैबिनेट की अगली बैठक में इस पर औपचारिक निर्णय होने की संभावना है।