जयपुर के एक नामी प्राइवेट स्कूल में छठी कक्षा की छात्रा की रहस्यमयी मौत ने शहर को झकझोर दिया है। प्रारंभिक जांच में मामला आत्महत्या का प्रतीत हो रहा है, जबकि पुलिस सीसीटीवी फुटेज और फोरेंसिक साक्ष्यों के आधार पर कारणों की पड़ताल कर रही है। घटना के बाद शिक्षा मंत्री ने जांच समिति गठित की है और स्कूलों में सुरक्षा व्यवस्थाओं पर सवाल खड़े हो गए हैं।
जयपुर के एक प्रतिष्ठित प्राइवेट स्कूल में शुक्रवार को छठी कक्षा की एक छात्रा की संदिग्ध परिस्थितियों में मौत हो गई। पुलिस के अनुसार, छात्रा स्कूल की चौथी मंजिल से नीचे गिर गई थी। प्रारंभिक जांच में मामला आत्महत्या का लग रहा है, हालांकि पुलिस घटनास्थल के सीसीटीवी फुटेज खंगाल रही है ताकि पूरे घटनाक्रम की सच्चाई सामने आ सके। मानसरोवर थानाधिकारी लखन खटाना ने बताया कि स्कूल की चौथी मंजिल से गिरने के बाद छात्रा को तुरंत पास के अस्पताल पहुंचाया गया, जहां डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया।
राज्य के स्कूल शिक्षा मंत्री मदन दिलावर ने इस दुखद घटना पर शोक जताते हुए मामले की विस्तृत जांच के लिए एक समिति गठित की है। मानसरोवर थानाधिकारी लखन खटाना ने बताया कि घटना के वास्तविक कारण जांच पूरी होने के बाद ही स्पष्ट होंगे। साक्ष्य एकत्र करने के लिए फोरेंसिक टीम को बुलाया गया है और पुलिस पूरे मामले की गहराई से जांच कर रही है। छात्रा का पोस्टमार्टम अस्पताल में किया गया, जहां उसके माता-पिता और परिवार के अन्य सदस्य मौजूद थे। बताया गया कि वह परिवार की एकमात्र संतान थी। शिक्षा मंत्री ने यह भी कहा कि स्कूल में सुरक्षा इंतजामों की कमी दिखाई देती है, इसलिए विद्यालय प्रबंधन को बच्चों की सुरक्षा के लिए ठोस कदम उठाने चाहिए। उन्होंने जिला शिक्षा अधिकारी, जयपुर को पूरे प्रकरण की जांच के निर्देश दिए हैं।
मानसिक रूप से परेशान थी छात्रा ?
संयुक्त अभिभावक संघ के प्रवक्ता अभिषेक जैन ने इस घटना को आत्महत्या का मामला बताते हुए आरोप लगाया कि छात्रा एक शिक्षक के व्यवहार से मानसिक रूप से परेशान थी। जैन ने बताया कि कई छात्रों से बातचीत के दौरान यह जानकारी मिली कि शिक्षिका के रवैये से दुखी होकर छात्रा ने चौथी मंजिल से छलांग लगा दी। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि घटना के बाद स्कूल प्रशासन ने साक्ष्य नष्ट कर दिए और घटनास्थल की सफाई कर दी। जैन ने कहा कि सरकार और स्कूल दोनों ही सुरक्षा मानकों को गंभीरता से नहीं ले रहे हैं, और केवल हादसे के बाद ही सक्रिय होते हैं। उन्होंने मांग की कि स्कूलों की सभी निगरानी समितियों में अभिभावकों की भागीदारी सुनिश्चित की जाए और उनके सुझावों को भी निर्णय प्रक्रिया में शामिल किया जाए।