पटना: बिहार का सीतामढ़ी मूलतः एक तीर्थस्थल है। यहां कई मंदिर हैं और सीताकुंड भी स्थित है। हालांकि पिछले कुछ महीनों में इस ज़िले में एचआईवी संक्रमण मानो महामारी का रूप ले चुका है। बिहार सरकार के आंकड़ों के अनुसार केवल सीतामढ़ी में ही एचआईवी संक्रमित लोगों की संख्या 7,400 से भी अधिक है। इनमें 400 बच्चे भी शामिल हैं।
ज़िले के एंटी रेट्रोवायरल थैरेपी (एआरटी) केंद्रों पर हर दिन बड़ी संख्या में एचआईवी रोगी पहुंच रहे हैं। लगातार जागरूकता अभियान चलाया जा रहा है लेकिन एआरटी के मेडिकल ऑफिसर डॉ. हसीन अख्तर के मुताबिक इसका अपेक्षित परिणाम नहीं मिल रहा। वे कहते हैं कि नियमित रूप से जागरूकता अभियान चलते हैं लेकिन अभी भी लोगों में पर्याप्त जागरूकता नहीं आई है। हर महीने 40 से 60 नए मामले सामने आ रहे हैं। फिलहाल हम लगभग 5,000 मरीजों को दवाई दे रहे हैं। चिकित्सकों का कहना है कि यदि माता या पिता या दोनों HIV संक्रमित हों तो जन्म के समय वायरस बच्चे में भी पहुंच सकता है। हालांकि डॉ. हसीन अख्तर की मानें तो सीतामढ़ी की स्थिति बेहद चिंताजनक है।
संक्रमण क्यों बढ़ रहा है?
चिकित्सकों के अनुसार विवाह से पहले अधिकांश लोग स्वास्थ्य जांच नहीं करवाते। यही इसका मुख्य कारण है। इसके अलावा जागरूकता का अभाव है। सामाजिक कुरीतियों और शर्म-हया की वजह से भी कई लोग जांच करवाने से बचते हैं। जिसके कारण संक्रमण तेजी से फैलता है। एचआईवी संक्रमण को रोकने के लिए ग्रामीण क्षेत्रों में कैंप लगाए जा रहे हैं। स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों का कहना है कि यदि जागरूकता और जांच की संख्या नहीं बढ़ाई गई तो आने वाले दिनों में संक्रमण और भी खतरनाक रूप ले सकता है। यह न केवल जिले बल्कि पूरे राज्य के लिए एक चेतावनी है।