पटना: राजनीति और अपने परिवार से नाता तोड़ने के एक महीने बाद आरजेडी प्रमुख लालू प्रसाद यादव की बेटी रोहिणी आचार्य ने महिलाओं के अधिकारों की सुरक्षा के लिए ठोस कदम उठाने की मांग की है। उनका कहना है कि बेटियों को यह भरोसा मिलना चाहिए कि उनका मायका एक सुरक्षित जगह है, जहां वे बिना किसी दबाव या सफाई दिए लौट सकती हैं।
पूर्व आरजेडी नेता ने जोर देकर कहा कि केवल सरकारी योजनाएं, गहरी जड़ वाली लैंगिक असमानताओं को दूर करने के लिए पर्याप्त नहीं हैं। एक्स पर पोस्ट साझा करते हुए रोहिणी आचार्य ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की उन पहल का अप्रत्यक्ष रूप से जिक्र किया जैसे महिलाओं को 10,000 रुपये देना और स्कूल की लड़कियों को साइकिल उपलब्ध कराना। हालांकि उन्होंने कहा कि ये कदम प्रणालीगत समस्याओं को हल करने के लिए पर्याप्त नहीं हैं, जो भारत में महिलाओं के सशक्तिकरण में बाधा बनती हैं। सरकार और समाज की प्राथमिक जिम्मेदारी है कि बेटियों के समान अधिकारों की रक्षा के लिए ठोस कदम उठाए जाएं, खासकर सामाजिक और पारिवारिक उदासीनता के बीच।
बिहार में व्याप्त पितृसत्तात्मक सोच का जिक्र करते हुए रोहिणी आचार्य ने सामाजिक और राजनीतिक दोनों स्तरों पर व्यापक बदलाव की आवश्यकता बताई। उन्होंने आगे कहा कि बिहार में गहराई तक जमी पितृसत्तात्मक मानसिकता यह दर्शाती है कि सामाजिक और राजनीतिक दोनों क्षेत्र में व्यापक बदलाव जरूरी हैं। हर बेटी का अधिकार है कि वह इस भरोसे के साथ बड़ी हो कि उसका मायका एक सुरक्षित स्थान है जहां वह बिना किसी डर, शर्म, अपराधबोध या स्पष्टीकरण के वापस आ सके।
कदम उठाना सिर्फ प्रशासनिक कर्तव्य नहीं बल्कि भविष्य में महिलाओं को शोषण और उत्पीड़न से बचाने की दिशा में बेहद महत्वपूर्ण कदम है। यह कदम सिर्फ प्रशासनिक जिम्मेदारी नहीं बल्कि अनगिनत महिलाओं को भविष्य के शोषण और उत्पीड़न से बचाने की दिशा में एक निर्णायक पहल है।
15 नवंबर को रोहिणी आचार्य ने राजनीति छोड़ दी और अपने परिवार से नाता तोड़ लिया था। उन्होंने आरोप लगाया था कि उनके भाई तेजस्वी यादव और उनके सहयोगी संजय यादव व रमीज़ ने उन्हें घर छोड़ने के लिए कहा। आरजेडी की बिहार विधानसभा चुनाव में हार, जहां पार्टी 140 से अधिक सीटों पर चुनाव लड़ने के बावजूद सिर्फ 25 सीटें जीत सकी, के बाद रोहिणी आचार्य ने परिवार से नाता समाप्त करने का निर्णय लिया।