मुजफ्फरपुर की हृदयविदारक घटना में दिहाड़ी मजदूर अपने पांच बच्चों के साथ खुद फंदे पर झूल गया। कर्ज के बोझ तले दबा अमरनाथ राम की ओर से उठाए गए इस कदम से हर कोई सन्न है। इस घटना में भी एक हैरान करने वाली बात हुई। मजबूर बाप के साथ तीनों बेटियां तो मर गईं, लेकिन दोनों बेटों की जान बच गई है। यह करिश्मा कैसे हुआ आइए जानते हैं।
बिहार के मुजफ्फरपुर जिले के सकरा थाना इलाके में बाप तीन बेटियों के साथ खुद फंदे पर झूल गया। मजबूर पिता ने दोनों बेटों को फंदे पर लटकाया था, लेकिन कुदरत ने अपना करिश्मा दिखाया और दोनों लाडलों की जान बच गई। इस घटना को लेकर एक तरफ जहां पूरे गांव में मातम पसरा हुआ है तो दूसरी तरफ इस बात का संतोष भी है कि कम से कम उस परिवार के दोनों बेटे जिंदा बच गए। लोग इस बात को लेकर हैरान हैं कि आखिर कुदरत का ये कैसा खेल है जिसमें तीनों बेटियां पिता के साथ चल बसीं, वहीं दोनों बेटे मौत के मुंह से निकलकर बच गए।
अमरनाथ राम के कदम से हैं हैरान
गांव वाले आपसी फुसफुसाहट में कहते हुए सुने जा रहे हैं कि कि वाकई भगवान अगर किसी को मौत की राह पर भी ढकेलता है तो उसके पीछे की तमाम वजहें पहले ही तलाश लेता है। गरीबी और कर्ज के बोझ तले दबे अमरनाथ राम ने अपनी तीन बेटियों और दो बेटों की जीवन लीला समाप्त करने के लिए खुद से फंदा तैयार किया। लाचार बाप ने अपने हिसाब से डेफिनेट डेथ का पूरा इंतजाम किया था, लेकिन कहते हैं ना ऊपर वाला जब तक नहीं चाहेगा, कोई काम अंजाम तक नहीं पहुंच सकता है, फिर चाहे वह मौत का फंदा ही क्यों ना हो। इस हृदयविदारक घटना में भी कुदरत का खेल दिखा।
ऐसे बच गई दोनों बेटों की जान
गरीब बाप ने खुद के साथ तीनों बेटियों के लिए मजबूत रस्सियों का फंदा तैयार किया था लेकिन घर की आर्थिक हालत इतनी खराब थी कि वह अपने दोनों बेटों को मौत के आगोश में ले जाने के लिए पर्याप्त रस्सियां भी नहीं जुटा पाया। पिता ने एक साथ पांचों बच्चों को फंदे पर झुलाया। फंदे पर लटकते ही पांचों बच्चे खूब छटपटाए, लेकिन केवल दोनों बेटों की रस्सी टूट पाई। दोनों बेटों की तो जान बच गई, लेकिन उन्होंने पिता और तीनों बहनों को तड़प-तड़पकर मरते देखा। समाज के लोग यहां तक कह रहे हैं कि इस क्रूर समाज में अनाथ बेटियों को कौन देखता, बेटों का क्या है वह तो कहीं भी किसी भी हालत में पल जाएंगे।
घटना ने इंसानियत को झकझोर कर रख दिया। यह सिर्फ एक सामूहिक मौत नहीं थी, बल्कि उन सपनों की भी हत्या थी, जो गरीबी के अंधेरे में भी उजाले की तरह चमक रहे थे। मृतक बच्चियों की सहेली ने बताया कि एक लड़की डॉक्टर बनना चाहती थी, तो दूसरी को पुलिस में सिपाही बनना था।