पटना। बिहार की राजनीति में 2025 के विधानसभा चुनावों के बाद स्थिति लगभग स्पष्ट हो चुकी है। NDA की ऐतिहासिक जीत ने एक बार फिर राज्य की सत्ता का समीकरण बदल दिया है और अब 21 नवंबर तक नई सरकार के गठन का रोडमैप तय कर लिया गया है।
राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) की बिहार विधानसभा चुनाव 2025 में जीत के बाद बिहार भाजपा अध्यक्ष दिलीप जायसवाल ने सोमवार को घोषणा की कि भारतीय जनता पार्टी (BJP) 18 नवंबर को अपने विधायक दल के नेता का चुनाव करेगी।उन्होंने जोर देकर कहा कि 21 नवंबर तक सरकार गठन की प्रक्रिया पूरी हो जाएगी।
जायसवाल ने कहा, “कल सुबह 10 बजे भाजपा के अटल सभागार में भाजपा विधायक दल की बैठक होगी। इसी बैठक में भाजपा अपने नेता का चयन करेगी। केंद्र से हमारे पर्यवेक्षक भी आएंगे। उसके बाद NDA की बैठक होगी और फिर 21 तारीख तक सरकार गठन पूरा हो जाएगा।”
18 नवंबर निर्णायक दिन: BJP चुनेगी अपना नेता
18 नवंबर को भाजपा विधायक दल की बैठक में नेता का चयन होगा। यह पद सीधे तौर पर तय करेगा कि NDA की सरकार किस संरचना में बनेगी। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के साथ समन्वय कैसे होगा ? भाजपा की भागीदारी कितनी मज़बूत होगी ? केंद्रीय पर्यवेक्षकों का आना इस चयन को और महत्वपूर्ण बनाता है।
क्या नीतीश कुमार फिर बनेंगे मुख्यमंत्री?
केंद्रीय मंत्री और हिंदुस्तान आवाम मोर्चा (एस) संस्थापक जीतन राम मांझी ने रविवार को दिल्ली में केंद्रीय मंत्री एवं बिहार चुनाव प्रभारी धर्मेंद्र प्रधान से मुलाकात की। उन्होंने यह स्पष्ट किया कि कैबिनेट पदों पर कोई बातचीत नहीं होगी और नीतीश कुमार ही मुख्यमंत्री का चेहरा होंगे। मुलाकात से पहले मांझी ने ANI को बताया, “हम किसी मंत्री पद पर बातचीत नहीं करेंगे। मुझे उनसे कुछ मुद्दों पर चर्चा करनी है। एक बात साफ है—नीतीश कुमार ही मुख्यमंत्री पद के लिए चेहरा होंगे।”
हम के प्रमुख और NDA के वरिष्ठ नेता जीतन राम मांझी का बयान अत्यंत महत्वपूर्ण है: “नीतीश कुमार ही चेहरा होंगे।” यह राजनीतिक रूप से तीन बातें स्थापित करता है कि BJP नीतीश कुमार को लेकर सहज है। NDA में मतभेद की कोई गुंजाइश नहीं। विपक्ष के लिए राजनीतिक विकल्प सीमित हो जाते हैं। मांझी ने यह भी स्पष्ट किया कि उन्होंने 46 वर्षों में कभी मंत्री पद की मांग नहीं की। यह NDA में ‘पावर शेयरिंग मॉडल’ की एकता और परिपक्वता दिखाता है।
क्या बिहार में स्थिर सरकार की राह आसान होगी?
नए विधानसभा में NDA के पास तीन-चौथाई बहुमत है। इससे उन्हें यह फायदा होगा कानून पास करने में कोई बाधा नहीं होगी। विपक्ष की भूमिका सीमित होगी। सरकार एक आक्रामक विकास एजेंडा लागू कर सकती है। हालांकि चुनौतियां भी कम नहीं। जातीय समीकरणों का प्रबंधन करना होगा। रोजगार और आर्थिक सुधार पर ध्यान केंद्रित करना होगा। जनता की ‘बड़ी उम्मीदों’ को पूरा करना होगा।
बिहार में NDA की ‘मेगा वापसी’
राजनीतिक रूप से देखें तो 202 सीटों की जीत बिहार की राजनीति में एक नया अध्याय है। 18 नवंबर से 21 नवंबर के बीच होने वाली गतिविधियां तय करेंगी कि अगले पांच वर्षों तक बिहार का राजनीतिक और विकास मॉडल कैसा रहेगा। NDA के लिए यह अवसर है और विपक्ष के लिए यह चुनौती कि वह कैसे जनता के बीच अपनी जगह दोबारा बना पाएगा।