पटनाः बिहार में बीते छह वर्षों से 13 करोड़ रुपये की लागत से तैयार किया गया रोपवे उद्घाटन से पहले ही टूटकर गिर गया। यह गंभीर हादसा शुक्रवार को रोहतास जिले में हुआ। चौरासन मंदिर आने वाले श्रद्धालुओं की सुविधा और रोहतासगढ़ किले तक पर्यटकों की आवाजाही आसान बनाने के उद्देश्य से यह रोपवे बनाया गया था। इस परियोजना का निर्माण राज्य स्वामित्व वाली बिहार राज्य पुल निर्माण निगम लिमिटेड (BRPNNL) द्वारा किया गया था।
इस रोपवे को बिहार में डबल इंजन सरकार के ‘विकास’ का प्रतीक बताकर प्रचारित किया जा रहा था। इसका उद्घाटन 1 जनवरी को प्रस्तावित था, लेकिन उससे पहले ही ट्रायल के दौरान यह पूरी तरह विफल हो गया। अधिकारियों के अनुसार, रोपवे का एक पिलर वजन नहीं संभाल सका, जिसके चलते ट्रॉली समेत संरचना गिर गई और केबल टूटकर जमीन पर आ गिरी। राहत की बात यह रही कि घटना के समय रोपवे में कोई मौजूद नहीं था, इसलिए कोई जानमाल का नुकसान नहीं हुआ।
हालांकि, इतने प्रचार-प्रसार के साथ बनी इस परियोजना के इस हश्र के बाद विपक्षी दलों ने बड़े भ्रष्टाचार की आशंका जताई है। उनका कहना है कि निर्माण की गुणवत्ता पर पहले ही सवाल उठाए गए थे, लेकिन उन्हें नजरअंदाज किया गया।
BRPNNL के चेयरमैन चंद्रशेखर सिंह ने बताया कि मामले की जांच के लिए प्रबंध निदेशक के नेतृत्व में एक उच्चस्तरीय समिति गठित की गई है, जो 24 घंटे के भीतर रिपोर्ट सौंपेगी।
उन्होंने यह भी कहा कि आईआईटी पटना से रोपवे के डिजाइन की जांच करने का अनुरोध किया गया है। सिंह ने स्पष्ट किया कि इस घटना से निगम पर कोई वित्तीय बोझ नहीं पड़ेगा, क्योंकि ट्रायल रन और परीक्षण के दौरान होने वाले किसी भी नुकसान की जिम्मेदारी ठेकेदार की होगी।
स्थानीय विधायक मुरारी प्रसाद गौतम ने राज्य पर्यटन विभाग को पत्र लिखकर घटना की गहन जांच और दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग की है।
वहीं, कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष राजेश राम ने कहा, “यह घटना बिहार सरकार के भीतर व्याप्त भ्रष्टाचार का नतीजा है। निर्माण के दौरान गुणवत्ता पर सवाल उठे थे, लेकिन कमीशन के लालच में एनडीए सरकार ने उन्हें अनदेखा किया।” उन्होंने उच्चस्तरीय जांच और निर्माण एजेंसी को ब्लैकलिस्ट करने की भी मांग की। फिलहाल, यह रोपवे परियोजना बिहार में सरकारी विकास कार्यों की पारदर्शिता और गुणवत्ता पर एक बार फिर बड़ा सवाल खड़ा कर रही है।