पटनाः बिहार की राजनीति के लिए साल 2025 बेहद अहम और घटनापूर्ण रहा। करीब दो दशक की सत्ता के बावजूद एंटी-इन्कम्बेंसी के तमाम कयासों को गलत साबित करते हुए राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) ने नवंबर विधानसभा चुनाव में शानदार जीत दर्ज की। इस जनादेश के साथ मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने न सिर्फ अपनी राजनीतिक प्रासंगिकता दोबारा साबित की, बल्कि रिकॉर्ड 10वीं बार मुख्यमंत्री पद की शपथ ली।
75 वर्षीय नीतीश कुमार के नेतृत्व में जद(यू) ने पांच साल पहले की तुलना में लगभग दोगुनी सीटें हासिल कीं, हालांकि भाजपा एक बार फिर गठबंधन में बड़ी सहयोगी पार्टी बनकर उभरी। शपथ ग्रहण समारोह में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मौजूदगी और नीतीश कुमार का उनके प्रति सार्वजनिक सम्मान, NDA में स्थायित्व का संदेश माना गया।
चुनाव से पहले जहां ओपिनियन पोल आरजेडी नेता तेजस्वी यादव को मुख्यमंत्री पद का सबसे लोकप्रिय चेहरा बता रहे थे, वहीं विपक्ष ने रोजगार, भत्ते और सामाजिक सुरक्षा जैसे मुद्दों पर जोर दिया। जवाब में नीतीश सरकार ने चुनाव से पहले कई कल्याणकारी योजनाएं शुरू कीं या उनका विस्तार किया, जिनमें मुफ्त बिजली, पेंशन वृद्धि और महिलाओं के लिए सरकारी नौकरियों में आरक्षण शामिल रहा।
चुनावी साल में निर्वाचन आयोग द्वारा कराए गए स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन (SIR) के तहत मतदाता सूची से 65 लाख नाम हटाए गए, जिस पर विपक्ष ने “वोट चोरी” का आरोप लगाया। पीटीआई रिपोर्ट के मुताबिक, राहुल गांधी के नेतृत्व में INDIA गठबंधन ने इसे बड़ा मुद्दा बनाने की कोशिश की, लेकिन ‘वोटर अधिकार यात्रा’ के बावजूद महागठबंधन 243 सदस्यीय विधानसभा में 40 सीटों से भी कम पर सिमट गया।
NDA की जीत में कल्याणकारी योजनाओं की बड़ी भूमिका मानी गई। ‘मुख्यमंत्री महिला रोजगार योजना’ के तहत 1.5 करोड़ से अधिक महिलाओं को 10 हजार रुपये की सहायता दी गई, हालांकि भुगतान के समय को लेकर विवाद भी हुआ। आंकड़ों के मुताबिक NDA के वोट शेयर में करीब 10 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई, जिसने जीत को और मजबूत किया।
राजनीति से इतर 2025 में शासन और विकास भी चर्चा में रहे। एक ओर सरकार ने नए पुलों और कनेक्टिविटी परियोजनाओं को गिनाया, वहीं कई जिलों में पुल गिरने की घटनाओं ने निर्माण गुणवत्ता पर सवाल खड़े किए। इसके बाद पुलों की निगरानी और थर्ड पार्टी ऑडिट की नई व्यवस्था लागू की गई।
शहरी विकास के मोर्चे पर पटना मेट्रो के कुछ हिस्सों का संचालन शुरू हुआ, नए मेडिकल कॉलेज और अस्पताल खुले, और खेलो इंडिया के तहत राष्ट्रीय स्तर के खेल आयोजनों की मेजबानी की गई। बिहार दिवस जैसे सांस्कृतिक आयोजनों के जरिए सरकार ने विरासत और विकास को साथ-साथ प्रस्तुत करने की कोशिश की।
कुल मिलाकर, 2025 ने बिहार में यह साफ कर दिया कि फ्रीबीज, इंफ्रास्ट्रक्चर और केंद्र के साथ तालमेल की राजनीति ने नीतीश कुमार को एक बार फिर सत्ता के शिखर पर पहुंचा दिया।