नई दिल्लीः शीतकालीन सत्र की शुरुआत से पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा विपक्ष को निशाना बनाते हुए दिए गए बयान 'यहा ड्रामा नहीं, डिलिवरी होनी चाहिए…नारे नहीं, नीति चलेगी' ने राजनीतिक माहौल को गर्म कर दिया है। मोदी ने कहा था कि बिहार चुनाव में मिली हार के बाद विपक्ष 'अस्थिर और बेचैन' दिखाई दे रहा है और उन्हें संसद को 'नाटक का मंच' नहीं बनाना चाहिए। मोदी के बयान ने संसद सत्र शुरू होने से पहले ही राजनीतिक विवाद को हवा दे दी है। विपक्ष ने इसे जनता के मुद्दों से ध्यान हटाने की कोशिश करार दिया।
प्रधानमंत्री के बयान के बाद पूरे विपक्ष ने तीखी प्रतिक्रियाएं दीं और सरकार पर पलटवार किया। कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने प्रधानमंत्री पर पलटवार करते हुए आरोप लगाया कि पिछले 11 सालों से सरकार ही संसद की मर्यादा रौंद रही है। कानून बिना चर्चा के bulldoze होते हैं। यह ड्रामा नहीं तो क्या है? खड़गे ने कहा कि सरकार असली मुद्दों बेरोजगारी, महंगाई, असमानता से ध्यान हटाने के लिए 'डिस्ट्रैक्शन का ड्रामा' करती है।
कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह ने कहा कि प्रधानमंत्री को विपक्ष पर भाषण देने के बजाय सरकार की गलतियों का जवाब देना चाहिए। उन्होंने दावा किया कि वर्तमान मतदाता सूची संशोधन प्रक्रिया (SIR) वास्तव में CAA से जुड़ी है और इसे लेकर सरकार जवाबदेही से बच रही है। विपक्ष लोगों की आवाज़ उठा रहा है, यह ड्रामा नहीं है।
तृणमूल कांग्रेस के सांसद अभिषेक बनर्जी ने कहा कि SIR पर चर्चा की मांग करना ड्रामा नहीं हो सकता। अगर जनता की आवाज़ उठाना ड्रामा है तो जनता अगला चुनाव में सरकार को जवाब देगी।उन्होंने SIR से जुड़े 40 BLO की मौत को लेकर सरकार पर जवाबदेही से भागने का आरोप लगाया।
सपा सांसद अखिलेश यादव ने कहा कि विपक्ष ड्रामा नहीं करता, बल्कि उन लोगों को रोकता है, जो ड्रामा करते हैं। उन्होंने भाजपा पर वादे पूरे न करने का आरोप लगाते हुए कहा कि जीत और हार चुनाव का हिस्सा है, इसलिए भाजपा को जनता से किए वादे पूरे करने चाहिए।
वहीं, भाजपा सांसद रवि किशन ने प्रधानमंत्री का समर्थन करते हुए कहा कि ड्रामा करना है तो ड्रामा स्कूल बनाएं, संसद जनता के पैसे से बनी है, यहां ड्रामा नहीं चलेगा।