'कुछ पार्टियां हार पचा नहीं पातीं’: PM मोदी का विपक्ष पर हमला, संसद में बहस की अपील

लोकतंत्र को मजबूत करने में सरकार और विपक्ष दोनों की भूमिका है और सांसदों को राजनीतिक प्रतिद्वंद्विता से ऊपर उठकर सकारात्मक बहस को प्राथमिकता देनी चाहिए।

By डॉ. अभिज्ञात

Dec 01, 2025 12:51 IST

नई दिल्ली: मौजूदा शीतकालीन सत्र में प्रमुख राष्ट्रीय मुद्दों, विधायी कार्यों और आर्थिक नीतियों पर चर्चा होने की संभावना है।प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोमवार को 18वीं लोकसभा के छठे शीतकालीन सत्र और राज्यसभा के 269वें सत्र में शामिल होने वाली सभी राजनीतिक पार्टियों से अपील की कि वे संसद के सत्र को 'हार से पैदा हुई हताशा का रणक्षेत्र' या 'जीत से पैदा हुए अहंकार का अखाड़ा' न बनने दें और यह सुनिश्चित करें कि संसद का ध्यान राष्ट्रीय विकास और लोकतांत्रिक दायित्वों पर केंद्रित रहे। सत्र शुरू होने से पहले संसद परिसर में मीडिया को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने हाल ही में सम्पन्न बिहार चुनाव में भाजपा-नीत एनडीए गठबंधन की प्रचंड जीत का उल्लेख किया और भारतीय लोकतंत्र की सक्रियता तथा उच्च मतदान प्रतिशत की तारीफ की।

उन्होंने कहा कि संसद का यह शीतकालीन सत्र सिर्फ एक परंपरा भर नहीं है। मुझे यह पूर्ण विश्वास है कि देश की प्रगति को तेज़ करने के प्रयास चल रहे हैं और यह सत्र भी उस गति को और ऊर्जा देगा। भारत ने लोकतंत्र को जिया है। समय-समय पर लोकतंत्र का जो उत्साह देखने को मिलता है, वह इस व्यवस्था में जनता के विश्वास को और मजबूत करता है। हाल के बिहार चुनावों में देखा गया उच्च मतदान लोकतंत्र की सबसे बड़ी ताकत है। माताओं और बहनों की बढ़ती भागीदारी अपने आप में नई उम्मीद और विश्वास जगाती है।

विपक्ष पर तंजः उन्होंने विपक्ष पर तंज कसते हुए कहा कि कुछ पार्टियाँ हार को स्वीकार ही नहीं कर पातीं। मैंने सोचा था समय के साथ नेता बिहार चुनाव की हार से उबर जाएंगे, लेकिन उनके कल के बयान बताते हैं कि हार ने उन्हें अभी भी विचलित कर रखा है। प्रधानमंत्री ने आगे कहा कि भारत की आर्थिक प्रगति उल्लेखनीय ऊंचाइयों पर पहुंच चुकी है और संसद को ऐसी नीतियों और कानूनों पर ध्यान देना चाहिए जो भारत को विकसित राष्ट्र बनने के मार्ग पर बनाए रखें। लोकतंत्र को मजबूत करने में सरकार और विपक्ष दोनों की भूमिका है और सांसदों को राजनीतिक प्रतिद्वंद्विता से ऊपर उठकर सकारात्मक बहस को प्राथमिकता देनी चाहिए। भारत की आर्थिक प्रगति आज अभूतपूर्व ऊंचाइयों को छू रही है। यह गति हमें एक विकसित राष्ट्र की दिशा में बढ़ने का नया आत्मविश्वास देती है। हमारी संसद का ध्यान इस पर होना चाहिए कि वह देश के लिए क्या सोच रही है और क्या देने जा रही है। विपक्ष को भी अपनी जिम्मेदारी निभानी चाहिए और हार के दुख से बाहर आना चाहिए। एक ओर दुनिया भारतीय लोकतंत्र की मजबूती देख रही है और दूसरी ओर इस लोकतांत्रिक प्रणाली के भीतर अर्थव्यवस्था की शक्ति को भी देख रही है। भारत ने साबित कर दिया है कि लोकतंत्र परिणाम दे सकता है। हमारी अर्थव्यवस्था जिस तेजी से आगे बढ़ रही है, वह हमें विकसित भारत के लक्ष्य की ओर बढ़ने की नई ताकत देती है।

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