KMC की नई व्यवस्था, पानी में विसर्जित करने के तुरंत बाद मूर्तियों के ढांचों को निकाला जाएगा बाहर

कोलकाता में हुगली नदी व तालाबों में सभी जगहों पर ही प्रतिमाओं के विसर्जन के तुरंत बाद आपदा प्रबंधन बल के कर्मचारी मूर्तियों के ढांचे को पानी से बाहर निकाल ले रहे हैं।

By Moumita Bhattacharya

Oct 04, 2025 13:23 IST

हुगली नदी हो, कोई तालाब हो या अस्थायी जलाशय - मां दुर्गा की प्रतिमा विसर्जित होने के तुरंत बाद ढांचे को पानी से बाहर निकाल लेने की व्यवस्था की गयी है। जल प्रदूषण को रोकने की दिशा में ही यह नियम लागू किया गया है। कोलकाता में 5 अक्तूबर तक दुर्गा प्रतिमाओं का विसर्जन होगा।

मिली जानकारी के अनुसार कोलकाता में हुगली नदी व तालाबों को मिलाकर कुल 83 विसर्जन घाट चिह्नित किए गए हैं। इसके अलावा विसर्जन के लिए 200 से भी अधिक जगहें हैं। सभी जगहों पर ही प्रतिमाओं के विसर्जन के बाद तुरंत बाद आपदा प्रबंधन बल के कर्मचारी मूर्तियों के बचे हुए ढांचे को पानी से बाहर निकाल ले रहे हैं।

किसी समय दुर्गा पूजा के बाद जब प्रतिमाओं का विसर्जन हो जाता था, उसके कई दिनों बाद तक इनके ढांचा नदी की सतह पर तैरता नजर आता था। मूर्तियों के निर्माण में इस्तेमाल होने वाले रासायनिक रंगों की वजह से नदियों व तालाबों का पानी भी प्रदूषित हो जाता था। पर्यावरणविद् मूर्तियों के विसर्जन की इस पारंपरिक पद्धति को बदलने की मांग लंबे समय से कर रहे थे।

इसे ध्यान में रखते हुए ही कोलकाता नगरनिगम (KMC) के पर्यावरण विभाग ने इस बार प्रतिमाओं के विसर्जन के तुरंत बाद ढांचों को पानी से बाहर निकाल लेने के मामले में सख्त फैसले लिए हैं। बताया जाता है कि इस वजह से प्रत्येक घाट व विसर्जन प्वाएंट पर प्रशिक्षित कर्मचारियों को नियुक्त किया गया है जो मूर्तियों को पानी में विसर्जित करने के तुरंत बाद उन्हें बगल में खींच कर हटा देंगे। इसके बाद उन ढांचों को किसी और जगह पर ले जाया जाएगा।

बताया जाता है कि 5 अक्तूबर को विसर्जन की प्रक्रिया समाप्त होने के एक सप्ताह के अंदर नदियों, तालाबों व सभी विसर्जन प्वाएंट से मूर्तियों के ढांचों के बचे हुए हिस्से, प्रवाहित की गयी पूजन सामग्री आदि को हटा लिया जाएगा। इस बारे में KMC के पर्यावरण विभाग के मेयर पार्षद स्वपन समाद्दार ने कहा कि इस साल शुरुआत से ही पर्यावरण अनुकूल विसर्जन की परियोजना बनायी गयी है। पुलिस व आपदा प्रबंधन दल की मदद से इस परियोजना को अमली जामा पहनाया जा रहा है।

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