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एक हफ्ते में दो हत्याएं, क्या कनाडा अब भारतीयों के लिए सुरक्षित नहीं? पत्रकार ने दी चेतावनी

कनाडा पुलिस को ‘नाकाम’ बताते हुए पत्रकार डैनियल बोर्डमैन ने तीखा हमला किया।

By अमर्त्य लाहिड़ी, Posted by डॉ.अभिज्ञात

Dec 26, 2025 19:59 IST

ओटावाः कनाडा में महज एक सप्ताह के भीतर दो भारतीय नागरिकों-हिमांशी खुराना (30) और शिवांक अवस्थी (20) की नृशंस हत्या कर दी गई। इन दोहरे हत्याकांडों से वहां रहने वाले प्रवासी भारतीयों के बीच जबरदस्त दहशत फैल गई है। दरअसल, कनाडा में लगातार ‘भारत-विरोधी भावना’ बढ़ती जा रही है। यह दावा कनाडा के चर्चित पत्रकार डैनियल बोर्डमैन ने किया है।

समाचार एजेंसी एएनआई को दिए गए एक साक्षात्कार में बोर्डमैन ने कनाडाई पुलिस और प्रशासन के खिलाफ तीखा आक्रोश जताया। उनके अनुसार, स्थानीय पुलिस पूरी तरह अक्षम है और उसकी लापरवाही के कारण ही अपराधी आसानी से बच निकलते हैं।

पिछले सप्ताह हिमांशी खुराना लापता हो गई थीं। बाद में उनका शव एक फ्लैट से बरामद किया गया। पुलिस ने हिमांशी के लिव-इन पार्टनर अब्दुल गफूरी की तलाश शुरू कर दी है। इस घटना की गूंज अभी थमी भी नहीं थी कि 23 दिसंबर को टोरंटो की सड़कों पर 20 वर्षीय छात्र शिवांक अवस्थी की गोली मारकर हत्या कर दी गई।

ताजा हत्या को लेकर पुलिस की निष्क्रियता पर सवाल उठाते हुए बोर्डमैन ने कहा, “हमें सिर्फ इतना पता है कि एक भारतीय की हत्या हुई है, लेकिन क्यों, कैसे और किसने यह अपराध किया-इस बारे में पुलिस पूरी तरह अंधेरे में है। टोरंटो पुलिस से घोर अयोग्यता के अलावा और कुछ उम्मीद नहीं की जा सकती।”

बोर्डमैन का आरोप है कि कनाडा पुलिस की प्राथमिकताएं ही गलत हैं। उनके मुताबिक यदि कोई व्यक्ति किसी गैर-श्वेत सरकारी अधिकारी के बारे में ऑनलाइन हल्की-सी आपत्तिजनक टिप्पणी कर दे तो उसे पचास साल तक की सजा हो सकती है, लेकिन हत्या जैसे जघन्य अपराधों को पुलिस गंभीरता से नहीं लेती।

उन्होंने आशंका जताई कि पुलिस शायद इन दोनों भारतीयों के हत्यारों को पकड़ भी नहीं पाएगी और यदि पकड़ भी लिया गया तो उन्हें अधिकतम तीन साल की सजा मिलेगी। तीन साल बाद वे फिर खुलेआम घूमते नजर आएंगे। उनके अनुसार, ‘हल्की सजा’ की यही संस्कृति अपराधियों का मनोबल बढ़ा रही है।

इस बीच, भारत के विदेश मंत्रालय ने इन घटनाओं पर गहरा शोक व्यक्त किया है और कहा है कि वह इस मामले में स्थानीय प्रशासन के संपर्क में है। हालांकि अब यह गंभीर सवाल उठ रहा है कि क्या उच्च शिक्षा या रोजगार के लिए जाने वाले भारतीयों के लिए कनाडा अब सुरक्षित नहीं रहा?

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