नई दिल्ली: भारत में आतंकवाद, उग्रवाद और संगठित अपराध के खिलाफ लड़ाई को मजबूत करने के लिए पहली बार एक राष्ट्रीय हथियार डेटाबेस लॉन्च किया गया है। इस डेटाबेस का नाम ‘लॉस्ट, लूटेड एंड रिकवर्ड फायरआर्म डेटाबेस’ है।
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने शुक्रवार को इस डेटाबेस का शुभारंभ किया। इसे राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) ने गृह मंत्रालय के तहत तैयार किया है। यह डेटाबेस एंटी-टेरर कॉन्फ्रेंस 2025 के उद्घाटन सत्र के दौरान देश को समर्पित किया गया।
यह डेटाबेस उन सरकारी हथियारों का पूरा ब्योरा रखेगा, जो राज्य पुलिस बलों या केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बलों (CAPFs) द्वारा खो गए, चोरी हुए, लूटे गए या बाद में बरामद किए गए हैं। एएनआई की रेपोर्ट के अनुसार इसका उद्देश्य एक ऐसा केंद्रीकृत डिजिटल रिकॉर्ड तैयार करना है, जिसे देश भर की पुलिस और सुरक्षा एजेंसियां आसानी से इस्तेमाल कर सकें।
अधिकारियों के अनुसार इसमें सभी राज्यों, केंद्र शासित प्रदेशों, जम्मू-कश्मीर, पूर्वोत्तर और नक्सल प्रभावित क्षेत्रों से मिले आंकड़े शामिल किए गए हैं। यह डेटाबेस NIA के सुरक्षित डिजिटल प्लेटफॉर्म पर उपलब्ध रहेगा और अधिकृत एजेंसियों को रियल-टाइम अपडेट मिलेंगे। इस पहल से पुलिस और जांच एजेंसियां यह पता लगा सकेंगी कि कोई हथियार कहां से आया, कहां गया और कैसे बरामद हुआ, जिससे आतंक और अपराध से जुड़े मामलों की जांच और प्रभावी होगी।
विशेषज्ञों का कहना है कि सरकारी हथियारों का गलत हाथों में जाना देश की आंतरिक सुरक्षा के लिए बड़ा खतरा होता है, क्योंकि ऐसे हथियार अक्सर आतंकी संगठनों, नक्सलियों और अपराधी गिरोहों तक पहुंच जाते हैं।
यह डेटाबेस NIA और गृह मंत्रालय की उस व्यापक रणनीति का हिस्सा है, जिसके तहत तकनीक के इस्तेमाल से कानून-व्यवस्था को मजबूत, राज्यों के बीच बेहतर समन्वय और खुफिया जानकारी जुटाने की क्षमता बढ़ाई जा रही है। यह कदम भारत को और सुरक्षित देश बनाने की दिशा में एक बड़ा और अहम प्रयास है।