नई दिल्ली: क्रिसमस के माहौल में बीजेपी बड़ी मुश्किल में फँस गई है। देश के विभिन्न हिस्सों में पिछले कुछ दिनों के दौरान ईसाइयों पर अत्याचार की एक के बाद एक घटनाएँ सामने आई हैं। इन घटनाओं पर बीजेपी नेताओं या केंद्रीय मंत्रियों की चुप्पी को विपक्ष ने निशाना बनाया है। धीरे-धीरे सोशल मीडिया पर इन अत्याचारों की तस्वीरें और वीडियो वायरल होने लगे। देश-विदेश में भारत सरकार की भूमिका को लेकर सवाल उठने लगे।
इसके बाद रातों-रात डैमेज कंट्रोल के उद्देश्य से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मैदान में उतरे। उनके साथ बीजेपी अध्यक्ष जे.पी. नड्डा सहित कई शीर्ष नेता भी सक्रिय हुए। क्रिसमस के अवसर पर गुरुवार सुबह दिल्ली के कैथेड्रल चर्च में विशेष प्रार्थना सभा में मोदी शामिल हुए। नड्डा एक क्रिश्चियन हायर सेकेंडरी स्कूल पहुँचे। बीजेपी के सोशल मीडिया हैंडल से भी गुरुवार को क्रिसमस की शुभकामनाएँ दी गईं। सरकारी सूत्रों का दावा है कि पहले यह कार्यक्रम उनकी सूची में नहीं था, लेकिन बाद में सभी कार्यक्रमों में बदलाव कर मोदी इस दिन सुबह चर्च पहुँचे और विशेष प्रार्थना में हिस्सा लिया।
हाल ही में सोशल मीडिया पर एक वीडियो वायरल हुआ, जिसमें एक दृष्टिहीन ईसाई महिला के साथ बीजेपी की नेता अंजलि भार्गव द्वारा अत्याचार किए जाने का आरोप है। इसके अलावा दिल्ली, भोपाल, ओडिशा, असम और उत्तर प्रदेश में भी सांता टोपी, जॉबा (पोशाक), क्रिसमस ट्री आदि बेचने वाली दुकानों पर हमलों की घटनाएँ सामने आईं। आरोप है कि बजरंग दल के कार्यकर्ताओं ने ये हमले किए। सूत्रों का कहना है कि इसके बाद ‘ब्रांड मोदी’ को बचाने के लिए बीजेपी और मोदी सरकार ने डैमेज कंट्रोल का फैसला लिया।
हालाँकि आँकड़े बताते हैं कि पिछले 11 वर्षों में मोदी शासन के दौरान अल्पसंख्यकों पर हमले कोई नई बात नहीं हैं। इसके बावजूद ऐसे सांप्रदायिक हिंसा के मामलों को रोकने के लिए कोई बड़ा सरकारी कदम नहीं उठाया गया है-ऐसा विपक्ष का दावा है।
इन सभी घटनाओं को लेकर तृणमूल कांग्रेस के राज्यसभा नेता डेरेक ओ’ब्रायन ने मोदी को निशाने पर लिया है। प्रधानमंत्री ने अपने ‘एक्स हैंडल पर चर्च में विशेष प्रार्थना की तस्वीरें पोस्ट कीं। वही तस्वीरें साझा करते हुए डेरेक ने सवाल उठाया-“प्यार? शांति? करुणा? सौहार्द? शुभेच्छा? क्रिसमस?”
इसी मुद्दे पर तमिलनाडु के मुख्यमंत्री स्टालिन ने भी प्रधानमंत्री की कड़ी आलोचना की।