नई दिल्ली: क्या राज्य सरकार के कर्मचारियों को केंद्रीय दर पर महंगाई भत्ता (डीए) मिलेगा? इसी सवाल के जवाब के लिए राज्य सरकार के वर्तमान और सेवानिवृत्त कर्मचारी सुप्रीम कोर्ट के फैसले की ओर टकटकी लगाए बैठे हैं। लेकिन फैसला कब आएगा, इसको लेकर अब भी अनिश्चितता बनी हुई है।
इस मामले में सुप्रीम कोर्ट की न्यायमूर्ति संजय करोल और न्यायमूर्ति पी. के. मिश्रा के पीठ में 8 सितंबर को सुनवाई पूरी हो चुकी है। सुनवाई के बाद फैसला सुरक्षित रख लिया गया था। उसी दिन अदालत ने निर्देश दिया था कि सभी पक्ष जल्द से जल्द अपने काउंटर हलफनामे दाखिल करें। शीर्ष अदालत के निर्देशों का पालन करते हुए सभी पक्षों ने अपने हलफनामे और अन्य दस्तावेज़ जमा कर दिए हैं। इसके बावजूद लगभग तीन महीने बीत चुके हैं, लेकिन अब तक डीए मामले में फैसला नहीं सुनाया गया है। साल भी खत्म होने जा रहा है। ऐसे में याचिकाकर्ता इस बात पर नज़र लगाए हुए हैं कि क्या नए साल में अदालत फैसला सुनाएगी।
‘कन्फेडरेशन ऑफ स्टेट गवर्नमेंट एम्प्लॉइज़’ के वरिष्ठ नेता श्यामल मित्र ने बुधवार को कहा, “शीर्ष अदालत ने जिस तेजी से सुनवाई की, जिस तरह न्यायाधीशों ने राज्य सरकार के रुख पर लगातार सवाल उठाए, उसके बाद भी इतने लंबे समय तक डीए मामले का फैसला न आना हमें हैरान करता है। वास्तव में हम सभी अदालत के आदेश का ही इंतज़ार कर रहे हैं।” याचिकाकर्ताओं की निगाह इस पर टिकी है कि जनवरी में इस मामले में फैसला आता है या नहीं।
कानूनी विशेषज्ञों का कहना है कि डीए से जुड़ा मामला बेहद जटिल है और सभी पहलुओं पर विचार करने के बाद ही सुप्रीम कोर्ट अपना फैसला सुनाएगा। शीर्ष अदालत के एक वरिष्ठ वकील के अनुसार, “पश्चिम बंगाल के डीए मामले का फैसला देश के अन्य राज्यों के सरकारी कर्मचारियों को भी प्रभावित कर सकता है-यह बात सुनवाई के दौरान अदालत ने भी कही थी। इसके अलावा केंद्र सरकार के कुछ कर्मचारियों ने भी अतिरिक्त डीए की मांग को लेकर सुप्रीम कोर्ट का दरवाज़ा खटखटाया है। ऐसे मामलों पर भी पश्चिम बंगाल के डीए फैसले का असर पड़ सकता है। इसलिए अदालत हर पहलू को ध्यान में रखकर ही निर्णय लेगी।”