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छुट्टी नहीं मिलेगी, साल के अंत में ‘जी राम जी’ को लेकर सड़कों पर उतरेगी भाजपा, शीर्ष नेतृत्व का निर्देश

देशभर में जनसंपर्क के लिए मैदान में उतरना होगा हर भाजपा सांसद, विधायक और नेता को

By Author by:रिनिका रॉय चौधुरी, Posted by डॉ.अभिज्ञात

Dec 25, 2025 12:36 IST

नई दिल्ली: देशभर में उत्सव का माहौल है। 8 से 80 साल तक-पूरा देश त्योहारों के रंग में डूबने को तैयार है। इसी माहौल में भाजपा का शीर्ष नेतृत्व पार्टी कार्यक्रमों में अग्रिम पंक्ति के नेताओं को पूरी तरह सक्रिय रखना चाहता है। उनका साफ संदेश है कि 25 दिसंबर क्रिसमस और आने वाली वर्षांत की छुट्टियों में किसी भी हालत में आराम नहीं किया जाएगा। देशभर में मैदान में उतरकर जनसंपर्क करना होगा-हर भाजपा सांसद, विधायक और नेता को। गांवों और शहरों में घर-घर जाकर हाल ही में बनाए गए ‘जी राम जी’ कानून का प्रचार करना होगा।

संसद के हाल ही में संपन्न शीतकालीन सत्र में सौ दिनों के कार्य वाली मनरेगा योजना में संशोधन करते हुए मोदी सरकार ने ‘वीबी जी राम जी’ विधेयक को संसद के दोनों सदनों से पारित कराया है। इस नए कानून में पुराने कानून के तहत 100 दिनों के काम के बजाय 125 दिनों के काम की गारंटी दी गई है। विपक्ष की आपत्तियों को दरकिनार करते हुए यह विधेयक लोकसभा और राज्यसभा दोनों में पारित हुआ। राज्यसभा में 18 दिसंबर की मध्यरात्रि को विधेयक पारित होने के 72 घंटे के भीतर राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने इस पर हस्ताक्षर कर दिए।

इस स्थिति में भाजपा का शीर्ष नेतृत्व चाहता है कि पार्टी के सांसद, विधायक और अन्य वरिष्ठ नेता क्रिसमस की छुट्टियों के दौरान भी देश के विभिन्न राज्यों-खासकर ग्रामीण इलाकों में जाकर आम लोगों को समझाएं कि मनरेगा योजना के स्थान पर नई योजना क्यों शुरू की जा रही है और यह नई योजना किस तरह मनरेगा से बेहतर साबित होगी। कांग्रेस, तृणमूल, डीएमके सहित विपक्षी खेमे की कई पार्टियां पहले ही इस कानून के खिलाफ प्रचार शुरू कर चुकी हैं। इसके जवाब में भाजपा नेताओं को भी मैदान में उतरना होगा।

दिल्ली में भाजपा सूत्रों का दावा है कि ‘राम जी’ कानून को लेकर भाजपा-शासित असम, मध्य प्रदेश, राजस्थान, छत्तीसगढ़, उत्तराखंड और गुजरात में भी असंतोष की आहट मिलने लगी है। जहां ग्रामीण इलाकों में हर साल 100 दिनों का काम भी सुनिश्चित नहीं हो पा रहा है, वहां 125 दिनों का काम कैसे दिया जाएगा, यह सवाल इन भाजपा-शासित राज्यों के कुछ वरिष्ठ नेता उठा रहे हैं इसलिए अब सिर्फ विपक्ष को जवाब देना ही नहीं, बल्कि भाजपा-शासित राज्यों के लोगों को समझाना भी भाजपा के जनप्रतिनिधियों की एक अहम जिम्मेदारी होगी।

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